एक देश की करेंसी को उसी के बैंक की मदद से खत्म किया जा रहा है. लीबिया में फर्जी नोटों की जैसे बाढ़ आ गई है. इन नोटों का सीधा असर लीबिया की करेंसी लीबियन दिनार पर हो रहा है. गैर-कानूनी नोटों को असली डॉलर के नोट से एक्सचेंज किया जा रहा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह एक्सचेंज ब्लैक मार्केट में हो रहा है. इसके अलावा कई स्थानीय बैंक भी ऐसा कर हैं. सेंट्रल बैंक ऑफ लीबिया ने इन नोटों को जाली करार दिया है.
इस पैसे का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड करने के लिए किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, इन पैसों से लीबिया में रूस की मिलिट्री गतिविधियों को भी इससे फंड किया जा रहा है. हालांकि, सेंट्रल बैंक ऑफ लीबिया ने इस पर किसी तरह की टिप्पणी अभी तक नहीं की है. इसके अलावा लीबिया की नेशनल आर्मी से इस संबंध में रॉयटर्स को कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, रूस में करेंसी छापने वाली सरकारी कंपनी गोजनेक ने भी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है.
संकटग्रस्त लीबिया के 2 फाड़
लीबिया 2014 में 2 हिस्सों ईस्टर्म और वेस्टर्न लीबिया में बंट गया था. 2020 में दोनों के बीच समझौते का प्रयास किया गया लेकिन लगातार तनाव जारी रहा और सारे प्रयास असफल रहे. अमेरिका ने गोजनेक पर 1 अरब डॉलर की नकली लीबियाई करेंसी छापने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, उसने यह नहीं बताया था कि यह करेंसी कब छापे गए और कहां डिलीवर किए गए.
रूस कर रहा फंड सप्लाई
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस 2016 से 2020 तक ईस्टर्न लीबिया में रूस ने फंड सप्लाई किया. रूस खलीफा हफ्तार को समर्थन कर रहा था जो ईस्टर्न लीबिया में कमांडर था. जो नोट रूस ने भेजे वह सेंट्रल बैंक ऑफ लीबिया की ईस्टर्न ब्रांच द्वारा आधिकारिक तौर पर जारी किये गए थे.