दिल्ली : यूपीएससी कोचिंग का गढ़ माने जाने वाले दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर का एक बेहद मशहूर कोचिंग सेंटर राउज आईएएस. इस इलाके के तकरीबन हर कोचिंग सेंटर की तरह यहां भी बेसमेंट में लाइब्रेरी बनी है. यहां देश के सबसे ऊंचे ओहदे के लिए छात्र पढ़ने आते हैं. शनिवार शाम में बारिश के दौरान पूरे इलाके में जलजमाव था. कोचिंग सेंटर के बाहर की जगह सड़क से काफी ऊंची है. यहां ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग है. इसी पार्किंग से बेसमेंट में जाने का रास्ता है.
इस बेसमेंट में कोचिंग सेंटर की लाइब्रेरी है. यहां तैयारी करने वाले छात्र हर दिन आते हैं. इस हादसे के दौरान बेसमेंट में मौजूद एक छात्र ने बताया कि छात्रों की तरफ से शाम 6 बजकर 40 मिनट पर पुलिस को फोन किया गया, लेकिन मदद पहुंचते-पहुंचते रात के 9 बज चुके थे. कोचिंग सेंटर में पानी आने की सूचना दमकल विभाग को मिली तो अफरा तफरी मच गई. बेसमेंट में पानी 10 से 12 फीट तक पानी भर चुका था. रस्सियों के सहारे छात्रों को निकाला जाने लगा.
एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची. लेकिन 3 छात्रों का पता नहीं चल रहा था. तलाशी के लिए गोताखोरों की मदद ली गई. रात के करीब डेढ़ बजे तक तीन छात्रों के शव बेसमेंट से निकाले जा चुके थे. पानी निकालने के लिए पंप लगाए गए. पूरी रात बेसमेंट से पानी निकालने का काम चलता रहा. दिन निकलने तक ड्रेनेज की सफाई का काम जारी था. लेकिन सवाल ये है कि बाहर जब बारिश की वजह से जलजमाव था, तो कोचिंग सेंटर का प्रशासन क्या कर रहा था?
कोचिंग में पानी की निकासी के क्या इंतजाम थे? आखिर कोचिंग संस्थानों को इतना गैरजिम्मेदार होने की हिम्मत कहां से आती है कि लाखों की फीस लेकर भी छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ करने में नहीं डरते? क्या यहां बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाने की अनुमति ली गई थी? यदि नहीं तो पुलिस-प्रशासन क्या कर रहा था? क्या पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया, जबकि इस पूरे इलाके में इसी तरह से बेसमेंट में लाइब्रेरी धड़ल्ले से चलाई जा रही है.
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे के बाद विरोध प्रदर्शन करते छात्र…
इस हादसे के बाद पुलिस ने भले ही कोचिंग सेंटर के मालिक अभिषेक गुप्ता और को ऑर्डिनेटर देशपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन असली गुनहगार सिस्टम है. यदि सिस्टम सही होता, तो इस तरह का हादसा कभी नहीं होता. आज उन तीनों छात्रों के घरों में मातम है, जिनकी इस हादसे में जान चली गई है. जरा सोचिए क्या गुजरी होगी उस परिवार पर, जब उसने खबरों में ये दर्दनाक मंजर देखा होगा? क्या बीत रही होगी मां-बाप पर, जिनके सपनों के संसार की अकाल मौत हो गई? दिल्ली हो या कोई दूरदराज इलाका देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए लाखों छात्र दिल्ली आते हैं.
इन्हीं में से नेविन डाल्विन, श्रेया यादव और तान्या सोनी भी थे. तीनों दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के राउज आईएएस कोचिंग सेंटर में पढ़ाई कर रहे थे. केरल के एर्नाकुलम के रहने वाले 28 साल के नेविन डाल्विन जेएनयू से पीएचडी कर रहे थे. पिछले आठ महीने से पटेल नगर में रह कर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. रेस्क्यू के दौरान सबसे आखिरी में नेविन का शव गोताखोरों ने निकाला. खबर मिलते ही नेविन के घर में लोग जुटने लगे थे.
श्रेया यादव 25 साल की थी. उन्होंने पिछले महीने ही कोचिंग में दाखिला लिया था. यूपी के अंबेडकरकर नगर की रहने वाली श्रेया के परिवार का कहना है कि बड़ी उम्मीदों के साथ उन्होने अपनी बेटी को दिल्ली भेजा था. उनके पिता किसान हैं. सपना था कि बिटिया बड़ी अफसर बने. उनके चाचाजी ने टीवी पर हादसे की खबर देखी थी. उन्होंने जैसे ही परिजनों को इस हादसे के बारे में बताया पूरे परिवार में कोहराम मच गया. भागे-भागे लोग दिल्ली आए.
इस हादसे की शिकार तीसरी छात्रा तान्या सोनी तेलंगाना से दिल्ली आई थी. 25 साल की तान्या के सपने भी दिल्ली की जानलेवा लापरवाही में डूब गए. अभी चार दिन पहले ही दिल्ली के पटेल नगर में भी करंट लगने से यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र नीलेश राय की मौत हो गई थी. वो बीटेक कर चुके थे और यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा भी पास कर चुके थे. इन हादसों से पीड़ित परिवारों की खुशियां तो उजड़ ही गई साथ ही उन लाखों परिवारों के दिल में भी दहशत भर गई, जिनके बच्चे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में कोचिंग के लिए रहते हैं. सवाल कई हैं, जिनके जवाब पुलिस-प्रशासन और सरकार को देने हैं