साउदी अरब के मक्का में जाकर हज यात्रा करने की चाह तो हर मुस्लिम जायरीन की होती है लेकिन हर कोई इसे पूरा कर पाए, ऐसा जरूरी नहीं. हर साल केवल सीमित संख्या में लोगों को ही हज यात्रा की इजाजत दी जाती है. इसकी मुख्य वजह है दुनिया भर से आने वाले आवेदन. भारत सरकार ने भी इज यात्रा के लिए अपनी नई नीति पेश कर दी है. सरकार की नई नीति के तहत अब कुल हज कोटे का 70 प्रतिशत भारतीय हज कमेटी के पास होगा. इसके अलावा बाकी बचा 30 प्रतिशत हिस्सा निजी टूर ऑपरेटर्स (एचजीओ) को दिया जाएगा.
पुराने नियम के तहत भारत सरकार के पास हज यात्रा का ज्यादा कोटा था. तब 80 प्रतिशत हिस्से पर सरकार का नियंत्रण होता था, जिसे इस बार से 10 प्रतिशत कम करने का निर्णय लिया गया है. स्पष्ट कर दिया गया है कि निजी टूर ऑपरेटर्स को अब अतिरिक्त सीट दी जाएंगी. पहले 20 प्रतिशत के उनके कोटे में यह 10 प्रतिशत सीटें जोड़ी जाएंगी. यानी 30 प्रतिशत सीटें निजी हाथों में रहेंगी.
भारत और सऊदी अरब के बीच हर साल होने वाले हज समझौते के तहत कोटे का निर्धारण होता है. नई हज नीति में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार और सऊदी अरब के बीच हर साल हस्ताक्षर किए जाने वाले हज समझौते में हज कोटे से जुड़ी संख्या भारत को आवंटित की जाती है. कोटा की कुल संख्या में से 70 प्रतिशत हज कमेटी को आवंटित किया जाएगा, जबकि 30 प्रतिशत एचजीओ को आवंटित किया जाएगा. इस साल आई हज नीति के तहत यह फैसला भी किया गया है कि 65 वर्ष या इससे अधिक आयुवर्ग के लोगों के साथ हजयात्रा पर कोई साथी भी जाएगा और बिना ‘मेहरम’ वाली महिलाओं को पूर्व की भांति प्राथमिकता मिलती रहेगी.