जैसा कि पहले से अनुमान लगाया जा रहा था, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लगातार 9वीं मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में कर्ज को सस्ता करने से इनकार कर दिया. गवर्नर ने साफ कहा कि हमारी सबसे बड़ी चिंता अब भी महंगाई को लेकर बनी हुई है. वैसे हमारी कोशिशों ने बुनियादी महंगाई दर को काफी कम कर दिया है, लेकिन खुदरा महंगाई सबसे बड़ी मुसीबत बनी हुई है. उन्होंने एमपीसी बैठक के बाद अपने बयान में दूध और मोबाइल टैरिफ का भी नाम लिया.
गवर्नर के संकेतों से ऐसा लगता है कि आने वाले समय में सरकार मोबाइल टैरिफ और दूध की कीमतों को लेकर कुछ फैसले कर सकती है. गर्वनर ने अपने बयान में कहा कि हम दूध और मोबाइल टैरिफ की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की समीक्षा करेंगे. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि दूध के दाम एक बार फिर बढ़ने वाले हैं. इससे पहले ही आरबीआई गवर्नर ने इस बयान से आम आदमी की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. आपको याद होगा कि पिछले महीने ही मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों ने अपना टैरिफ करीब 25 फीसदी तक महंगा कर दिया है.
क्या कहा गवर्नर ने
शक्तिकांत दास ने कहा कि हमारी चिंता अभी महंगाई को लेकर बनी हुई है. खासतौर से खाने-पीने की चीजों को लेकर ज्यादा दबाव है. दूध महंगा हुआ और मोबाइल टैरिफ भी बढ़ गया है. हम इसकी समीक्षा करेंगे. खाद्य महंगाई को काबू में लाने के सभी प्रयास किए जाएंगे. वैसे बुनियादी महंगाई दर यानी कोर इन्फ्लेशन काफी हद तक काबू में आ गया है, लेकिन कुल महंगाई में इसकी हिस्सेदारी 46 फीसदी होने की वजह से दबाव अब भी बना हुआ है. प्याज और टमाटर जैसी जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से पूरे खाद्य महंगाई पर असर पड़ रहा.
बढ़ाना पड़ा महंगाई का अनुमान
गवर्नर दास ने महंगाई को सबसे बड़ी मुसीबत ऐसे ही नहीं बताया. ताजा आंकड़े खुद इस चिंता की कहानी बताते हैं. आरबीआई ने चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान भी बढ़ा दिया है. पहले इसे 3.8 फीसदी बताया था, जबकि अब बढ़ाकर 4.4 फीसदी कर दिया है. इतना ही नहीं तीसरी तिमाही में भी महंगाई दर को 4.6 फीसदी से बढ़ाकर 4.7 फीसदी कर दिया है. गवर्नर का कहना है कि चालू वित्तवर्ष में खुदरा महंगाई पूरे साल 4 फीसदी से ऊपर ही बनी रहेगी, जिसके 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.
लंबे समय तक नहीं रहेगी महंगाई
गर्वनर ने कहा कि महंगाई का दबाव अस्थायी है, लेकिन इसके असर से इनकार नहीं किया जा सकता है. खासतौर से हमें आम आदमी से जुड़ी चीजों की कीमतों पर निगाह रखनी होगी. खुदरा महंगाई की दर नीचे आने पर ही लोन को सस्ता करने का रास्ता खुलेगा. आपको बता दें कि सब्जियों की कीमतों में उछाल की वजह से जुलाई में शाकाहारी थाली 12 फीसदी तो नॉनवेज थाली 7 फीसदी महंगी हो चुकी है.