बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने साथ देश की तरक्की भी लेकर चली गई हैं. जुलाई में उनके खिलाफ चले आंदोलन को दबाने के लिए तत्कालीन सरकार ने जो दमनकारी नीतियां अपनाई उसने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. जुलाई के लिए बांग्लादेश का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 27 पॉइंट नीचे गरिकर 36.9 पर पहुंच गया. यह इंडेक्स किसी मार्केट (यहां इसे देश समझें) में आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने, एकसमान रहने या नीचे जाने के बारे में बताता है.
इस इंडेक्स में मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की गतिविधियों को देखा जाता है. अगर इंडेक्स की रेटिंग 50 रहती है तो इसका मतलब है कि बाजार में शिथिलता है. यानी बाजार न तो ऊपर जा रहा है और न ही नीचे. इससे कम रेटिंग का मतलब है कि बाजार नीचे की ओर जा रहा है. बांग्लादेश की यह रेटिंग जुलाई में 36.9 रही है जो की 50 से काफी दूर आ गई है. इसके पीछे की वजह बांग्लादेश में चले हिंसक प्रदर्शन और उन्हें दबाने के लिए किए गए प्रयासों को बताया जा रहा है.
सभी सेक्टर्स में गिरावट
बांग्लादेश के ताजा पीएमआई आंकड़े जानने के लिए 500 निजी कंपनियों का सर्वे किया गया था. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि हर प्रमुख सेक्टर में गिरावट आई है. इसमें कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और सर्विसेज शामिल हैं. बांग्लादेश में पीएमआई आंकड़े मेट्रोपॉलिटिन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (MCCI) और पॉलिसी एक्सचेंज बांग्लादेश करते हैं. एमसीसीआई ने कहा है, “हालिया घटनाक्रम के चलते जो बडे़ स्तर पर अशांति फैली जिसकी वजह से प्रधानमंत्री का इस्तीफा हुआ और सरकार गिर गई, इसने अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डाला. पूर्व सरकार ने वापस से नियंत्रण हासिल करने के लिए कुछ अतिवादी कदम उठाए जिसकी वजह से प्रमुख क्षेत्रों में तेज गिरावट दिखी.” एमसीसीआई ने यह भी कहा है कि सभी सेक्टर्स के लिए फ्यूचर रीडिंग सकारात्मक दिख रही है.
बांग्लादेश में क्या हुआ?
बांग्लादेश में कोटा सिस्टम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. यहां बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई (1971) में शहीद हुए लोगों के परिवार को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण दिया जाता था. शेख हसीना पर आरोप था कि इसके जरिए वह अपने परिवार व करीबी लोगों को फायदा पहुंचाती थीं. इसी को हटाने की मांग के चलते प्रदर्शन शुरू हुआ जिसने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया. बात इतनी बढ़ गई कि हिंसक घटनाओं में 300 लोगों की मौत हो गई. 15 जुलाई से बांग्लादेश में झड़पें शुरू हो गईं. बीते रविवार बांग्लादेश में जोरदार प्रदर्शन हुए और मजबूरन शेख हसीना देश छोड़ना पड़ा. प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास के अंदर तक घुस गए. शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब शरण की तलाश में हैं.