विवादित दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अब ‘विवाद’ की लहरें और उफान मारने वाली हैं. अब चीन जो दावा किया है, वो अमेरिका और ताइवान के लिए तो भीषण चैलेंज है ही, साथ ही इससे पूरे क्षेत्र में तनाव और बढाना वाला भी है. चीन ने दावा किया है कि उसने दक्षिण चीन सागर में एक विशाल गैस क्षेत्र की खोज की है. यह 100 अरब घन मीटर से अधिक हो सकता है. राज्य संचालित राष्ट्रीय अपतटीय तेल निगम (CNOOC) ने एक बयान में कहा कि लिंगशुई 36-1 गैस क्षेत्र अत्यंत गहरे पानी में मौजूद दुनिया का सबसे बड़ा गैस क्षेत्र है. चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में गैस क्षेत्र खोजने के बाद इस क्षेत्र में सैन्य और कूटनीतिक तनाव और बढ़ सकता है.
दक्षिण चीन सागर एक अत्यधिक विवादित जल क्षेत्र है. यह दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक है, जिसके माध्यम से वैश्विक व्यापार का 20 प्रतिशत से अधिक गुजरता है. चीन इसके अधिकांश हिस्से पर अपना दावा जताता है. इसके साथ ही फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी दक्षिण चीन सागर को अपना बताते हैं. अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और उनके सहयोगी देश चीन के दावे को नकारते हुए छोटे देशों का समर्थन करते हैं.
नहीं बताई सही लोकेशन
सीएनओओसी ने कहा कि लिंगशुई 36-1 गैस क्षेत्र चीन के दक्षिण द्वीप प्रांत हैनान के दक्षिण पूर्व में स्थित है. हालांकि, उसने इसी स्पष्ट लोकेशन नहीं बताई और यह भी नहीं बताया कि यह दक्षिण चीन सागर के विवादित जल क्षेत्र में आता है या नहीं. चीन दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस आयातक है, जिसने 2023 में लगभग 64.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च कर 120 मिलियन टन तरलीकृत और पाइप गैस आयात की. अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन नए तेल और गैस भंडारों की खोज पर अरबों रुपये खर्च कर रहा है.
ये बयान अमेरिका-ताइवान को खूब चुभेगा
CNOOC के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी झोउ जिनहुआई ने कहा “दक्षिण चीन सागर कंपनी के लिए प्राकृतिक गैस भंडार और उत्पादन बढ़ाने का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है. लिंगशुई 36-1 के सफल परीक्षण ने दक्षिण चीन सागर में एक ट्रिलियन घन मीटर गैस क्षेत्र के विकास के लिए संसाधन आधार का और विस्तार किया है. कंपनी दक्षिण चीन सागर में हाइड्रोकार्बन संसाधनों के अन्वेषण और विकास को जारी रखेगी और ऊर्जा आपूर्ति की हमारी क्षमता को बढ़ाएगी.” पर्यवेक्षकों का मानना है कि बड़े पैमाने पर नए गैस क्षेत्र के मिलने से क्षेत्र मौजूदा तनाव बढ़ने की आशंका है. अमेरिका और ताइवान इस क्षेत्र से चीन को गैस उत्खनन करने से रोकने के लिए जी-तोड़ प्रयास करेंगे.