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‘मैं तो चाहती हूं ये लगभग 0 हो जाए लेकिन’, वित्त मंत्री ने टैक्स सिस्टम को लेकर कह दी बड़ी बात

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 केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मौजूदा टैक्स सिस्टम को उचित ठहराते हुए कहा कि देश को चुनौतियों का सामना करने और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए धन की जरूरत है. सीतारमण भोपाल में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं.

वैज्ञानिकों से रिन्यूएबल एनर्जी की स्टोरेज पर अधिक रिसर्च करने की अपील की. सीतारमण ने कहा कि दुनिया ने फॉसिल फ्यूल से रिन्यूएबल एनर्जी में बदलाव के लिए बहुत सारा धन देने का वादा किया है, लेकिन यह आना अभी बाकी है. वित्त मंत्री ने कहा, “लेकिन भारत ने इंतजार नहीं किया. पेरिस (पेरिस समझौते) में किए गए वादे हमारे अपने पैसे से पूरे किए गए. कई बार वित्त मंत्री होने के नाते मुझे लोगों को यह जवाब देना पड़ता है कि हमारे टैक्स ऐसे क्यों हैं? हम इससे भी कम क्यों नहीं कर सकते? मेरी इच्छा है कि मैं इसे लगभग शून्य पर ला सकूं. लेकिन भारत की चुनौतियां गंभीर हैं और इनसे पार पाना होगा.””

बहुत पैसे की जरूरत
उन्होंने कहा कि सरकार ने वैज्ञानिक अनुसंधान में भारी निवेश किया है. उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि मेरे सामने ग्रेजुएट, पीएचडी धारक बहुत विद्वान लोग हों जो भारत की चुनौतियों को समझें. मैं भारत जैसे विकासशील देश के लिए ऊर्जा के उन स्थायी स्रोतों में से एक के रूप में रिन्युएबल एनर्जी का उदाहरण लेती हूं.” वैज्ञानिकों से इनोवेशन के साथ आने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपनी ताकत से फॉसिल फ्यूल से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है क्योंकि देश कहीं और से पैसे का इंतजार नहीं कर सकता.

एनर्जी स्टोरेज
सीतारमण ने वैज्ञानिकों से नवीकरणीय ऊर्जा के स्टोरेज के लिए बैटरी विकसित करने का भी आग्रह किया क्योंकि फॉसिल फ्यूल से रिन्युएबल एनर्जी में बदलाव टिकाऊ होना चाहिए. वित्त मंत्री ने उपस्थित लोगों से यह सवाल पूछते हुए कि क्या शोध के लिए और अधिक धन होना चाहिए? उन्होंने कहा, “सरकार सिर्फ बातें नहीं कर रही है. वह अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में पैसा लगा रही है…कर से अर्जित धन. यह मेरा काम है. मेरा काम राजस्व उत्पन्न करना है, लोगों को परेशान करना नहीं है। हमें अनुसंधान के लिए धन की आवश्यकता है.”

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