आजकल कई तरह की नौकरियां स्थाई नहीं है और जॉब जाने का खतरा हमेशा बना रहता है. कोरोना महामारी के दौरान कंपनियों में छंटनी का दौर सभी ने देखा. वहीं, आर्थिक मंदी के वजह से भी लाखों लोगों की नौकरियां चली जाती हैं. वजह चाहे कोई भी हो, नौकरी छूटने के बाद धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगती है. ऐसे में लोग एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो जाते हैं.
हालांकि, अगर इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) बनाने की तैयारी पहले से ही कर ली जाए तो आपको ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हौसला मिल जाता है. इस फंड का इस्तेमाल आप आर्थिक संकट के दौरान कर सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि इमरजेंसी फंड कैसे तैयार सकते हैं और इसके लिए आपको अपनी सैलरी से कितनी बचत करनी चाहिए.
कितना होना चाहिए इमरजेंसी फंड?
सबसे पहले सवाल ये उठता है कि इमरजेंसी फंड के रूप में कितनी रकम कफी होगी? इस बारे में अलग-अलग जानकारों की अलग-अलग राय है. किसी का मानना है कि यह 3 महीने के खर्च के बराबर होनी चाहिए, तो कोई कहता है कि इसे 6 महीने की सैलरी के बराबर होना चाहिए. वैसे ज्यादातर एक्सपर्ट यही सलाह देते हैं कि इमरजेंसी फंड आपकी सैलरी का लगभग 6 गुना होना चाहिए. माना जाता है कि अमूमन 3 से 5 महीने में नई नौकरी मिल जाती है. इस दौरान जरूरी खर्चों में बचत का महत्वपूर्ण योगदान होता है.
किन खर्चों को करें शामिल?
इमरजेंसी फंड में घर के सभी जरूरी खर्चों जैसे रेंट, सामान का खर्च, पानी और बिजली का बिल, गैस का खर्च, मेड या नौकर की सैलरी, बच्चों के स्कूल की फीस आदि शामिल होनी चाहिए. अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस या किसी प्रकार का लोन ले रखा है तो उसके प्रीमियम और ब्याज का खर्च भी शामिल करें.
कहां जमा करें इमरजेंसी फंड की रकम?
आपको जॉब या कारोबार शुरू करते समय इमरजेंसी फंड भी बनान शुरू कर देना चाहिए. हर महीने अपनी कमाई से कुछ रकम की बचत कर इस फंड में जमा करना शुरू कर दें. ऐसा माना जाता है कि इमरजेंसी फंड में हर महीने आपको अपनी सैलरी का कम से कम 10% जमा करना चाहिए. मान लीजिये कि आपकी सैलरी 50,000 रुपये है, तो इस हिसाब से आपको इमरजेंसी फंड के लिए हर महीने 5,000 रुपये की बचत करनी चाहिए.