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मेडिकल कॉलेजों के MBBS सीट के इस कोटे में हुआ बदलाव, अब ऐसे होगा एडमिशन

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अगर आप नीट (NEET) की परीक्षा को पास करके मेडिकल कॉलेज (Medical College) में पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखने वाले उम्मीदवारों के लिए एक जरूरी खबर है. मेडिकल एजुकेशन एवं रिसर्च डिपार्टमेंट (DMER) ने मंगलवार को एनआरआई कोटे के तहत MBBS सीटों के लिए योग्यता मानदंडों में संशोधन किया. पहले यदि कोई एनआरआई सीट खाली रहती है, तो उसे सरकारी कॉलेजों में जनरल कैटेगरी की सीट और निजी कॉलेजों में मैनेजमेंट कैटेगरी की सीट में बदल दिया जाता है. लेकिन संशोधित मानदंडों के बाद बहुत कम एनआरआई कोटे की सीटें खाली रह जाएंगी.

राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों में कुल 1,550 एमबीबीएस सीटों में से 183 सीटें एनआरआई उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं. पिछले वर्षों में बड़ी संख्या में एनआरआई कोटे की सीटें खाली रह गई थीं और जनरल कैटेगरी के छात्रों के लिए खुशी की बात यह थी कि ये सीटें उनके लिए उपलब्ध होती थीं. पिछले साल, राज्य में कुल 183 एनआरआई कोटे की एमबीबीएस सीटों में से 148 सीटें खाली रह गई थीं और इन्हें जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों ने भरा था. इन 148 सीटों में से 57 सीटें चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में थीं.

DMER ने 9 अगस्त को पिछले वर्षों की तर्ज पर एक नोटिफिकेशन जारी की थी, जिसके अनुसार एनआरआई या एनआरआई के बच्चे, जो मूल रूप से पंजाब से संबंधित हैं, एनआरआई कोटे की सीटों के लिए पहली वरीयता के रूप में योग्य थे. यदि सीटें खाली रहती हैं, तो एनआरआई या एनआरआई के बच्चे जो भारत के किसी भी हिस्से से संबंधित हैं, इन सीटों के लिए योग्य थे. द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार हालांकि मंगलवार को डीएमईआर ने एनआरआई कोटे की सीट पर प्रवेश के उद्देश्य से एनआरआई परिभाषा के दायरे को व्यापक बनाते हुए एक संशोधित अधिसूचना जारी की.

संशोधित नोटिफिकेशन के अनुसार, यदि किसी छात्र को उसके पिता के भाई और बहन, माता के भाई और बहन, पिता के पिता और माता, माता के पिता और माता और प्रथम डिग्री माता-पिता और ममेरे भाई जैसे किसी अन्य निकटतम एनआरआई रिश्तेदार द्वारा वार्ड के रूप में लिया जाता है, तो ऐसे छात्रों को एनआरआई कोटे की सीट पर प्रवेश के लिए विचार किया जा सकता है. डीएमईआर के सचिव प्रियंक भारती ने कहा कि नोटिफिकेशन में आंशिक संशोधन राज्य के चिकित्सा संस्थानों में अधिक से अधिक संख्या में एनआरआई छात्रों को आकर्षित करने के लिए किया गया था.

डीएमईआर के सूत्रों ने खुलासा किया कि मेडिकल कॉलेज, खास तौर पर निजी मेडिकल संस्थान, राज्य सरकार पर अधिसूचना में संशोधन करने के लिए दबाव बना रहे थे, ताकि इस कैटेगरी के तहत अधिक से अधिक सीटें भरी जा सकें. द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार एनआरआई कोटे की सीटों को जनरल कैटेगरी में बदलने से मेडिकल संस्थानों को बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ. जबकि एमबीबीएस एनआरआई कोटे की सीट के लिए पूरा कोर्स शुल्क 1.10 लाख डॉलर (करीब ~93 लाख) है, वहीं राज्य के सरकारी संस्थानों में जनरल कैटेगरी की सीट के लिए शुल्क 9.50 लाख और निजी मेडिकल कॉलेजों में 58.02 लाख है. अधिक राजस्व जुटाने के लिए, मेडिकल कॉलेज पिछले कई वर्षों से राज्य सरकार से एनआरआई योग्यता मानदंड में ढील देने का आग्रह कर रहे थे.