कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर से दरिंदगी करने वाला संजय रॉय तो बड़ा वाला हवसी दरिंदा निकला. उसे अपने किए पर जरा भी पछतावा नहीं है. उसने पहले ट्रेनी लेडी डॉक्टर का रेप किया और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी और अब सीबीआई को गोल-गोल घुमा रहा है. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान संजय रॉय ने जरा भी पछतावा नहीं दिखाया. वह सेक्सुअल परवर्ट यानी हवसी दरिंदा लगता है. सीबीआई ने संजय रॉय का Psychometric टेस्ट करवाया है. दरअसल, कोलकाता कांड की जांच सीबीआई कर रही है और इस मामले को लेकर देशभर में गुस्सा है.
सूत्रों के मुताबिक, 33 साल के सिविक वॉलंटियर संजय रॉय की आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल तक आसानी से पहुंच थी. सीबीआई की पूछताछ में उसने इस वीभत्स अपराध को कबूल कर लिया है. उसने अपने साइकोमेट्रिक टेस्ट के दौरान बिना किसी सिकन या भाव के घटनाक्रम के बारे में बताया है. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि साइकोमेट्रिक टेस्ट करने वाले विशेषज्ञों ने महसूस किया कि वह ‘जानवरों’ जैसी प्रवृत्ति वाला ‘सेक्सुअल परवर्ट’ यानी हवसी दरिंदा है.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या?
लेडी डॉक्टर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौत का प्राथमिक कारण ‘गला घोंटना’ था. इसमें कहा गया है कि डॉक्टर के गाल, होंठ, नाक, गर्दन, हाथ और घुटनों पर खरोंच के निशान थे और उसके प्राइवेट पार्ट पर जबरन पेनेस्ट्रेशन सबूत थे. मृतक डॉक्टर के परिवार का दावा है कि उन्हें कई लोगों के शामिल होने का संदेह है. हालांकि सीबीआई ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की. सीबीआई ने संजय रॉय के अलावा, संदीप घोष से भी पूछताछ की है. संदीप घोष आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल हैं और उनसे सात दिनों में 74 घंटे की पूछताछ हो चुकी है.
9 अगस्त को मिला था डॉक्टर का शव
आरजी कर अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित सेमिनार हॉल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था. इसके एक दिन बाद 10 अगस्त को कोलकाता पुलिस की एक टीम ने संजय रॉय को हिरासत में ले लिया. पुलिस की शुरुआती जांच के दौरान उसके फोन में अश्लील वीडियो मिले थे. ऐसी भी खबरें आई हैं कि वारदात को अंजाम देने कुछ घंटे पहले 8 अगस्त की रात को वह दो वेश्यालयों में गया था
अब संजय का होगा पॉलीग्राफी टेस्ट
सीबीआई को संजय रॉय पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मंजूरी मिल गई है. मगर किसी वकील के तैयार न होने की वजह से इस प्रक्रिया में देरी हो रही है. संजय रॉय को पॉलीग्राफी टेस्ट की जानकारी देने और उससे सहमति लेने के लिए अब एक कानूनी सहायता वकील नियुक्त किया गया है. संजय रॉय की सहमति मिलने के बाद सीबीआई टेस्ट को आगे बढ़ा सकती है. आरोपी के लिए कानूनी सहायता वकील नियुक्त किए जाते हैं, जो वकील नहीं रख सकते हैं या जब परिस्थितियां असामान्य हों.
संजय को लेकर सीबीआई को किस बात का डर?
संजय रॉय को अदालत ले जाने पर सीबीआई को लोगों के गुस्सा का भी डर सता रहा है. यही वजह है कि सीबीआई संजय रॉय को लेकर काफी सोच-समझकर कदम उठा रही है. सीबीआई का मानना है कि उसे व्यक्तिगत रूप से जिला अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है. क्योंकि उसे डर है कि कहीं संजय रॉय भीड़ के गुस्से का शिकार न हो जाए. पॉलीग्राफ टेस्ट पर वर्चुअल सुनवाई की अनुमति के लिए सीबीआई कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख कर सकती है. पॉलीग्राफ टेस्ट शुरू होने से पहले मजिस्ट्रेट के सामने संजय रॉय की सहमति दर्ज होना जरूरी है.