विदेश जाने के लिए खुशी-खुशी तीन युवक दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट पहुंचते हैं. एयरपोर्ट पहुंचने के बाद तीनों को एक ऐसी बात पता चलती है, जिसको जानने के बाद तीनों के पैरों तले जमीन खिसक जाती है. इन तीनों का दिगाम उस वक्त काम करना बंद कर देता है, जब उन्हें पता चलता है कि अब वह अपने सपनों के शहर पेरिस नहीं, बल्कि सलाखों के पीछे जा रहे हैं.
दरअसल, यह मामला 24 वर्षीय बिजोय बाबू, 22 वर्षीय रोबिनसन और 25 वर्षीय प्रमोद लेक्स से जुड़ा हुआ है. बिजोय बाबू, रोबिनसन और प्रमोद लेक्स फ्रांस के पेरिस शहर जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री पहुंचे थे. चेक-इन प्रॉसेस पूरा करने के बाद तीनों डॉक्यूमेंट क्लियरेंस के लिए ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के काउंटर पर पहुंचते हैं. जांच के दौरान उन्हें पता चलता है कि उनके पासपोर्ट पर लगा फ्रांस का वीजा फर्जी है.
गिरफ्तार किए गए तीनों यात्री
इसके बाद, तीनों यात्रियों को हिरासत में लेकर आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया जाता है. वहीं ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन की शिकायत पर एयरपोर्ट पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में तीनों युवकों ने बताया कि पेरिस में नौकरी के लिए तीनों ने उनके गांव में ही रहने वाले राहुल से संपर्क किया था. राहुल ने तीनों को 21 लाख रुपए में पेरिस भेजने का भरोसा दिलाया था.
त्रिवेंद्रम से दिल्ली पहुंचे तीनों यात्री
डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि रुपए मिलने के बाद राहुल ने तीनों आरोपियों के लिए फ्रांस का शेंगेन वीजा और एयर टिकट अरेंज की थीं. टिकट और वीजा अरेंज होने के बाद तीनों को त्रिवेंद्रम से आईजीआई एयरपोर्ट के लिए रवाना कर दिया गया. आईजीआई एयरपोर्ट से तीनों को पेरिस के लिए रवाना होना था. ये सभी अपने मंसूबों में सफल होते, इससे पहले इनके फर्जी वीजा ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के अफसरों ने पकड़ लिए.
निजामुद्दीन से गिरफ्तार हुआ मास्टर माइंड
उन्होंने बताया कि तीनों आरोपियों के कबूलनामें के बाद पुलिस ने राहुल की गिरफ्तारी के लिए इंस्पेकटर सुमित के नेतृत्व में स्पेशल टीम का गठन किया. केरल में तमाम इलाकों में छापेमारी के बावजूद राहुल पुलिस की गिरफ्त से बचने में कामयाब रहा. इसी बीच, पुलिस को जानकारी मिली कि राहुल दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके से गिरफ्तार लिया. पूछताछ में राहुल ने तीनों से 21 लाख रुपए लेने और फर्जी वीजा देने की बात कबूल ली है.