कांग्रेस पर भ्रामक सूचना फैलाने का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि हाल ही में पेश की गई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) एक नई योजना है और यह कोई पलटी मारने वाला कदम नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई पलटी मारने वाला कदम नहीं है. यह ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) और एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) से अलग है. यह स्पष्ट रूप से एक नया पैकेज है.’’
उन्होंने कहा कि हाल ही में घोषित यूपीएस बेहतर पेंशन योजना है और इससे ज्यादातर सरकारी कर्मचारी संतुष्ट हो पाएंगे. सीतारमण ने कहा कि यूपीएस को इस तरह तैयार किया गया है कि यह हर गणना में उपयुक्त बैठती है और सरकार पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अधिकांश राज्य यूपीएस को अपनाएंगे क्योंकि इसमें कर्मचारियों के लिए बहुत सारे लाभ हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते सरकारी कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना लाने की मंजूरी दी थी.
क्या है यूपीएस
यूनिफाइड पेंशन स्कीम केंद्र सरकार द्वारा उसके कर्मचारियों के लिए लाई गई नई पेंशन योजना है. यह अगले साल 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी. इस योजना के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को उनकी नौकरी के आखिरी 12 महीने की सैलरी के औसत का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाएगा. इसके लिए कर्मचारी को सैलरी से 10 फीसदी योगदान करना होगा जबकि सरकार 18.5 फीसदी का योगदान करेगी. सरकार ग्रेच्युटी के अलावा लंपसम अमाउंट का भी भुगतान करेगी. इसकी गणना हर 6 महीने की की सैलरी का 10 लेकर की जाएगी. पेंशनधारी कर्मचारी की मृत्यु की सूरत में उसके पती/पत्नी को उस पेंशन का 60 फीसदी दिया जाएगा.
ओपीएस से कैसे अलग
ओपीएस और यूपीएस में जो सबसे बड़ा फर्क है कि ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी की ओर से कोई योगदान नहीं देना होता था. पेंशन का पूरा भार सरकार ही वहन करती थी. हालांकि, 2004 में इसे समाप्त करके एनपीएस लाया गया था. एनपीएस में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में से पेंशन के लिए हिस्सा काटा जाने लगा था. रिटायरमेंट के समय सरकार और कर्मचारी के साझा योगदान से जो अमाउंट बना उसका 60 फीसदी एकमुश्त कर्मचारी को दे दिया जाता था. जबकि 40 फीसदी अमाउंट विभिन्न निवेश विकल्पों में डाला जाता था जहां से उन्हें पेंशन मिलती थी. कर्मचारियों के अनुसार, एनपीएस की 2 बड़ी समस्याए हैं. पहली कि इसमें पेंशन फिक्स नहीं है. चूंकि, यह मार्केट लिक्ंड है तो इसमें बदलाव होता रहता है. दूसरी समस्या यह इसमें महंगाई भत्ता नहीं दिया जाता है. अब सरकार ने कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस में से किसी एक को चुनने का विकल्प दे दिया है.