वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 23 जुलाई 2024 को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट (Budget) पेश करते हुए ये ऐलान किया था कि जीएसटी (Goods And Service Tax) होने वाले फायदे में गुणात्मक बढ़ोतरी के लिए हम जीएसटी टैक्स स्ट्रक्चर ( GST Tax Structure) को सरल करते हुए इसे तर्कसंगत (Rationalisation) करेंगे साथ ही दूसरे सेक्टर्स तक इसका विस्तार करेंगे. लेकिन संसद के पटल पर वित्त मंत्री के दिए इस भरोसे के बाद भी जीएसटी रेट की दरों को कम करने की कवायद पर प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है. वित्त मंत्री के मुताबिक राज्य जीएसटी रेट्स की संख्या को कम करने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं नजर आ रहे और इसे लेकर वे बेहद सतर्क हैं.
राज्यों के जीएसटी रेट (GST Rate) में कटौती पर हिचक को लेकर वित्त मंत्री ने कहा, मैं इसके लिए उन्हें दोष नहीं दे रही हूं. उनका लक्ष्य जनता पर बोझ डाले बगैर रेवेन्यू बढ़ाना है. उन्हें अपने रेवेन्यू को बचाना है. दरअसल 9 सितंबर 2024 को जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक होने वाली है जिसमें जीएसटी रेट को तर्कसंगत बनाने को लेकर चर्चा की जाएगी. जीएसटी काउंसिल की बैठक में लग्जरी और सिन गुड्स पर लगने वाले सेस को लेकर भी चर्चा की जाएगी. कंपनसेशन सेस लगाकर ही जीएसटी के लागू होने के बाद राज्यों को होने वाला नुकसान की भरपाई करती है.
22 अगस्त, 2024 को जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने के लिए बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में राज्यों की वित्त मंत्री वाली कमिटी की बैठक हुई थी. इस बैठक में कमिटी ने ये तय किया कि वो जीएसटी काउंसिल के सामने 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी जीएसटी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करने की सिफारिश करेगा. राज्यों की वित्त मंत्री वाली कमिटी भले ही चार जीएसटी रेट्स को कम करने के पक्ष में नहीं है. लेकिन जीएसटी रेट्स को लेकर आलोचना झेल रही है केंद्र सरकार के लिए इसे टालना संभव नहीं है. जीएसटी टैक्स स्लैब रेट को मौजूदा चार से घटाकर तीन रेट करने पर लगातार जोर दिया जा रहै है. जीएसटी में मल्टीपल रेट सिस्टम में क्लासिफिकेशन विवादों को सुझाने के लिए सरकार ये कदम उठा सकती है खुद सीबीआईसी (CBIC) चेयरमैन संजय अग्रवाल इसके संकेत दे चुके हैं.
9 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी को लेकर भी चर्चा की जाएगी जिसे लेकर विपक्ष ने मानसून सत्र में सरकार को घेरा था. वित्त मंत्री खुद संसद में आने वाले जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इस मुद्दे पर राज्यों के वित्त मंत्री के साथ चर्चा का भरोसा दे चुकी हैं. सरकार के वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी भी इस बारे में वित्त मंत्री को पत्र लिख चुके हैं. संसद की स्थाई समिति भी इसकी सिफारिश कर चुकी है. बीते तीन सालों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी लगाकर 21,256 करोड़ रुपये और हेल्थ रीइंश्योरेंस प्रीमियम पर 3274 करोड़ रुपये जीएसटी वसूली की गई है.