देश की राजधानी दिल्ली में अतिक्रमण का मामला कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. भूमाफिया तो संरक्षित स्मराकों की जमीन तक को नहीं बख्शते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट अतिक्रमण को लेकर कई बार संबंधित विभागों को खरी-खोटी सुना चुका है. अब तो यमुना क्षेत्र में भी अतिक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने यमुना खादर क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर सर्वे किया था. सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.
DDA के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि हाल के सालों में यमुना के खादर क्षेत्र की दो तिहाई जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है. अधिकारियों ने शु्क्रवार को यह जानकारी दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 मार्च को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया था कि वह जोन ‘O’ में जमीन की वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए ‘सैटेलाइट इमेजरी’ और ‘ड्रोन फोटोग्राफी’ जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करे.
7362 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा
डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि यमुना के खादर क्षेत्र वाले ‘जोन O’ की कुल 9,700 हेक्टेयर जमीन में से 7,362.56 हेक्टेयर पर अतिक्रमण हो गया है. 8 जुलाई को हाईकोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष को यमुना नदी के किनारे, नदी के तल और नदी में बहने वाले नालों पर सभी अतिक्रमण तथा अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, डीडीए को खादर क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय करना होगा. दिल्ली पुलिस अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक सुरक्षाकर्मी उपलब्ध करा सकती है.
अतिक्रमण रोकने की प्लानिंग
दिल्ली में अवैध निर्माण और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने और जमीन से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए शुक्रवार को डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया ने ड्रोन सर्वेक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इससे अलग-अलग सरकारी एजेंसियों से संबंधित भूमि की स्थिति में अनिश्चितता की समस्या का समाधान होगा और ऐसी भूमि को अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा. भविष्य में अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगाया जाए.