विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सरकार की पाकिस्तान नीति में साफ बदलाव का संकेत देते हुए कहा कि ‘लगातार बातचीत का युग खत्म हो गया है.’ साथ ही उन्होंने यह भी कबूल किया कि नई दिल्ली सीमा पार की घटनाओं का जवाब देने के लिए तैयार है ‘चाहे वे सकारात्मक हो या नकारात्मक.’ इस हफ्ते दिल्ली में एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए भारत पर आतंकवादी हमलों का समर्थन करने वालों को कहा था कि ऐसी ‘कार्रवाई के नतीजे भी होते हैं.’ अब पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के संबंधों पर विचार कर सकते हैं.’
जब उनसे पूछा गया कि भारत इस बात से संतुष्ट है कि संबंध ऐसे ही बने रहें, उन्होंने कहा कि ‘शायद हां, शायद नहीं… लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि हम निष्क्रिय नहीं हैं, और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं…हम किसी भी तरह से प्रतिक्रिया करेंगे.’ गौरतलब है कि पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध अस्थिर हैं और जम्मू-कश्मीर में सीमा विवाद एक नियमित मुद्दा है. नई दिल्ली ने अक्सर सीमा पार आतंकवाद को फंडिंग और सैन्य सहायता देने वाले पाकिस्तान को लेकर चिंता जताई है. इसके कारण द्विपक्षीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने लगातार पाकिस्तान से विरोध जताया है.
आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं
मार्च में सिंगापुर की यात्रा पर गए जयशंकर ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद और आतंकी गतिविधियों को ‘लगभग उद्योग स्तर’ पर प्रायोजित करने को लेकर अफसोस जताया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘भारत इस समस्या से नहीं बचेगा. आप ऐसे पड़ोसी से कैसे निपटेंगे जो इस बात को नहीं छिपाता कि वह आतंकवाद का इस्तेमाल शासन कला के साधन के रूप में करता है? यह एक बार की बात नहीं है… बल्कि बहुत ही निरंतर है, लगभग उद्योग स्तर पर.’ उन्होंने तब संकेत दिया कि हालांकि नई दिल्ली विवादों को सुलझाने के लिए हमेशा मैत्रीपूर्ण बातचीत के लिए तैयार रहेगी. लेकिन यह भारत और भारतीयों पर आतंकवादी हमलों की निरंतर कीमत पर नहीं हो सकता.
आतंकवाद पर जीरो टालरेंस
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में कहा कि ‘मेरे पास इस मसले का तत्काल कोई समाधान नहीं है… लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि भारत अब इस समस्या से नहीं बचेगा. हम यह नहीं कहने जा रहे हैं कि अच्छा, ऐसा हुआ और अब हमें अपनी बातचीत जारी रखनी चाहिए. हमें दूसरे देश को खुली छूट नहीं देनी चाहिए.’ कुछ महीने पहले जयशंकर ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत के जीरो टालरेंस के रुख पर फिर से जोर दिया था और यह साफ किया था कि नई दिल्ली किसी भी हालत में आतंकवादी हमलों को नजरअंदाज नहीं करेगी.