गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि राज्य में आधार कार्ड के लिए सभी नए आवेदकों को अपनी NRC आवेदन रसीद संख्या जमा करनी होगी. सीएम हिमंत ने कहा कि आधार कार्ड के लिए आवेदनों की संख्या जनसंख्या से अधिक है. यह संकेत करता है कि संदिग्ध नागरिक हैं और हमने निर्णय लिया है कि नए आवेदकों को अपनी एनआरसी आवेदन रसीद संख्या जमा करानी होगी. उन्होंने कहा कि इससे अवैध विदेशियों के आने का सिलसिला रुकेगा. सीएम ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार आधार कार्ड जारी करने में बहुत सख्ती बरतेगी.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि असम में आधार बनवाना आसान नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा कि एनआरसी आवेदन रसीद संख्या जमा करना उन 9.55 लाख लोगों के लिए लागू नहीं होगा, जिनके बायोमेट्रिक्स राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) प्रक्रिया के दौरान लॉक कर दिए गए थे और उन्हें उनके कार्ड मिल जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अवैध विदेशियों की पहचान की प्रक्रिया तेज करेगी, क्योंकि पिछले दो महीनों में कई बांग्लादेशियों को पकड़ा गया और उन्हें पड़ोसी देश के अधिकारियों को सौंपा गया है.
क्या है NRC?
सवाल उठता है कि आखिरकार NRC क्या है? NRC का फ़ुल फ़ॉर्म है- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर. यह भारतीय नागरिकों के नामों का एक रजिस्टर है. एनआरसी को बनाने के पीछे का मकसद भारत के सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखना और अवैध अप्रवासियों का पता लगाना है. एनआरसी की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में 2013 में असम में हुई थी. एनआरसी को 1955 के नागरिकता अधिनियम में 2003 के संशोधन के ज़रिए अधिकृत किया गया था. एनआरसी को अभी तक असम के अलावा किसी और राज्य में लागू नहीं किया गया है. हालांकि, सरकार ने पहले ही कहा है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.
आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में अपडेट
यूआईडीएआई ने नए आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है. इसके तहत 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोग यदि आधार के लिए एनरोलमेंट कराएंगे तो उन्हें कार्ड अधिकतम 6 महीने में मिल सकेगा. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) में एनरोलमेंट करने के बाद व्यक्ति का राष्ट्रीय, राज्य और जिला यानी स्थानीय स्तर पर वेरिफिकेशन किया जाएगा. अब से यह तीन स्तरीय वेरिफिकेशन व्यवस्था लागू हो चुकी है. दरअसल, अब आधार सेवा केंद्र से एनरोलमेंट करवाने के बाद सेंटर से पहले व्यक्ति का डाटा यूआईडीएआई के बेंगलुरु स्थित डाटा सेंटर पहुंचेगा. वहां से सत्यापन के लिए इसे राजधानी भेजा जाएगा. इसके बाद राजधानी से संबंधित जिले में भेजा जाएगा. इन तीन स्तरों पर वेरिफिकेशन के बाद ही व्यक्ति को आधार कार्ड मिल सकेगा. राज्य स्तर पर और जिला स्तर पर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.