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घर या प्‍लॉट खरीदने जा रहे हैं तो न हो जाए गलती, एक्‍सपर्ट से जान लें क्‍या है फ्री होल्‍ड और लीज होल्‍ड प्रॉपर्टी

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क्या आप प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं, लेकिन समझ नहीं पा रहे कि कौन सा विकल्प आपके लिए सबसे बेहतर रहेगा, फ्री होल्‍ड या लीज होल्ड? इससे पहले कि आप कोई फैसला करें, इन दोनों के बीच में अंतर जानना बेहद जरूरी है. क्‍योंकि घर हो या दुकान, प्रॉपर्टी खरीदना जीवन का एक महत्वपूर्ण फैसला होता है. इन दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं, ऐसे में आइए जानते हैं आपके लिए कौन सा विकल्‍प बेस्‍ट है फ्रीहोल्ड या लीज प्रॉपर्टी.

फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी
राजदरबार वेंचर्स की डायरेक्टर नंदनी गर्ग के अनुसार फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी में आप पूरी तरह से मालिक होते हैं. इसका मतलब है कि आपके पास प्रॉपर्टी पर पूरी स्वतंत्रता होती है और आप इसे बेचना, ट्रांसफर करना या किसी भी अन्य तरीके से उपयोग करना पूरी तरह से आपके अधिकार में होता है. आपके बाद वे आपके कानूनी वारिस को ट्रांसफर हो जाते हैं. यानी पीढ़ियों तक प्रॉपर्टी के इस्तेमाल, निर्माण और बेचने के अधिकार आपके परिवार के लोगों के पास रहेंगे. भारत में ज्यादातर प्रॉपर्टी फ्री होल्ड होते हैं, जैसे बिल्डर ने सीधे किसी किसान से जमीन खरीदी और उस पर फ्लैट या घर बनाकर खरीदार को बेच दिया. ऐसे में बिल्डर के पास जो प्रॉपर्टी के मालिकाना हक थे, वो पूरी तरह खरीदने वाले को ट्रांसफर हो जाएंगे. फ्री होल्ड प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त सेल डीड, कन्वेयन्स डीड या रजिस्ट्री के जरिए होते है.

फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी में निवेश करना दीर्घकालिक सुरक्षा और स्थिरता का संकेत है. यह न केवल वर्तमान में प्रॉपर्टी के मूल्यवृद्धि का लाभ दिलाता है, बल्कि भविष्य में संभावित लाभ को भी बढ़ाता है. इसमें निवेशक को पूर्ण अधिकार मिलता है, जो एक महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय है.

लीज प्रॉपर्टी
स्‍पेक्‍ट्रम मेट्रो के वाइस प्रेजीडेंट सेल्‍स व मार्केटिंग अजेंद्र सिंह कहते हैं कि कमर्शियल हो या रेजीडेंशियल लीज प्रॉपर्टी में आप एक निश्चित अवधि के लिए प्रॉपर्टी का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इसका पूर्ण स्वामित्व आपके पास नहीं होता. हालांकि लीज डीड में यह बात क्‍लीयर होती है कि प्रॉपर्टी लीज पर लेने वाला अगर एग्रीमेंट की शर्तों को पूरा करता है कि आगे भी लीज की अवधि को बढ़ा दिया जाएगा. लीज होल्ड प्रॉपर्टी में मालिक राज्य यानी सरकार या फिर उसकी कोई एजेंसी होती है, जैसे, अगर नोएडा में किसान से जमीन अथॉरिटी खरीदती है फिर उसे बिल्डर या घर खरीदार को फिक्स्ड टाइम के लिए लीज पर दे देती है, यह लीज 30 या 99 साल या 999 साल की होती है.

रेजिडेंशियल हो या कमर्शियल प्रॉपर्टी में लीज की अवधि 99 साल होती है. इस अवधि के बीतने के बाद या तो प्रॉपर्टी का मालिकाना हक सरकार के पास वापस चला जाएगा या लीज बढ़ा दी जाएगी. हालांकि ज्‍यादातर मामलों में प्रॉपर्टी की लीज को बढ़ाया ही जाता है. लीज प्रॉपर्टी में निवेश करने का लाभ यह होता है कि डेवलपर के साथ अथॉरिटी भी इसके लिए उत्‍तरदायी होती है. ऐसे में यहां निवेश करने वाले लोगों का निवेश ज्यादा सुरक्षित रहता है. नोएडा की बात की जाए तो यहां ज्‍यादातर मॉल्‍स और रेजीडेंशियल सोसायटीज की जमीन को अथॉरिटी ने लीज पर लिया है. इस लीज को 999 साल तक बढ़ाया जा सकता है.

किसके लिए है फायदेमंद
लीजिंग के एक्‍सपर्ट और एंबीएस ग्रुप के हेड ऑफ लीजिंग निशिथ ठुकराल का कहना है कि लीज प्रॉपर्टी का विकल्प उन लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है जो एक निश्चित समय के लिए किसी स्थान पर रहना चाहते हैं, लेकिन पूर्ण स्वामित्व की चाहत नहीं रखते. यह व्यावसायिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी सस्ता हो सकता है. यूं तो लीज 99 साल तक की होती है लेकिन ज्‍यादातर मामलों में इसे बढ़ाया ही जाता है. क्‍योंकि जमीन की लीजिंग सरकार ही करती है ऐसे में जनहित के चलते सरकार लीज को बढ़ा ही देती है जिससे लोग 999 साल तक जमीन के मालिक रहते हैं.