मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू जल्द ही भारत के दौरे पर आ सकते हैं. इसे भारत के साथ मालदीव के रिश्ते सुधारन के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. दौरे का महत्व इसलिए बहुत बढ़ जाता है क्योंकि इसी साल की शुरुआत में मालदीव के नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियों के कारण दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी. उस विवाद के बाद मुइज्जू की भारत में द्विपक्षीय वार्ता के लिए यह पहला दौरा होगा. लेकिन इस संभावित दौरे से पहले एक ऐसी खबर सुनने में आ रही है जिससे भारत और मालदीव के बीच तनाव थोड़ा और बढ़ सकता है. दरअसल, मालदीव ने चीन के साथ एक वाणिज्यिक समझौता किया है.
मालदीव ने अपनी-अपनी मुद्राओं में चालू खाता लेनदेन और प्रत्यक्ष निवेश के लिए पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के साथ एक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. मालदीव ने यह भी कहा कि जल्द ही उसके यहां चीन के सबसे बड़े बैंक आईसीबीसी की एक शाखा खुल सकती है. मालदीव के आर्थिक मंत्री मोहम्मद सईद ने कहा, ”मालदीव में चीन के सबसे बड़े बैंक इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी) की एक शाखा खोलने के लिए काम चल रहा है.”
सईद ने कहा कि इस संबंध में बातचीत अभी भी जारी है. बता दें कि चीन 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार के साथ मालदीव का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है. मालदीव के सरकारी मीडिया पीएसएमन्यूज ने शुक्रवार को यहां कहा कि मालदीव के आर्थिक विकास और व्यापार मंत्रालय तथा पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) के बीच समझौते का उद्देश्य स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन के निपटान को बढ़ावा देना है. इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को सुविधाजनक बनाने में मदद मिलेगी.
संकट में मालदीव की अर्थव्यस्था
मालदीव की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है. इसे सहारा देने के लिए वह भारत से भी मदद की उम्मीद कर रहा है. हाल ही में जब भारत के विदेश मंत्री मालदीव गए तो वहां यूपीआई पेश करने को लेकर समझौता किया गया. इतना ही नहीं मालदीव आरबीआई के करेंसी स्वैप कार्यक्रम के तहत भारत से 40 करोड़ डॉलर तत्काल मिलने की उम्मीद कर रहा है. मालदीव को भारत ने 2019 में 80 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन दी थी जिसके जरिए वह और लंबी अवधि का कर्ज मांग सकता है. हालांकि, इस पर मालदीव की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी फिलहाल नहीं की गई है. मालदीव को अक्टूबर में भारत को 2.5 करोड़ डॉलर का भुगतान भी करना है. मालदीव का कर्ज उसकी जीडीपी का 110 फीसदी हो गया है. इस देश के फॉरेक्स रिजर्व में केवल 43.7 करोड़ डॉलर बचे हैं जिससे केवल 6 हफ्ते के इम्पोर्ट का ही इंतजाम किया जा सकता है.