भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने सोमवार को आगाह किया कि ग्लोबल कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में तनाव के कारण बैंक शॉर्ट सेलर्स (Short Sellers) के निशाने पर हो सकते हैं. दास ने कहा कि इससे नकदी की कमी हो सकती है. सिंगापुर में ब्रेटन वुड्स कमेटी की ओर से आयोजित फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024 में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्लोबल कमर्शियल रियल एस्टेट (CRE) सेक्टर में तनाव पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है.
दास ने ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी जोखिम के बारे में कहा, ”बैंक अपने लोन बुक में अपेक्षाकृत हाई सीआरई कवरेज रेशियो की वजह से अपेक्षित और अप्रत्याशित सीआरई नुकसान के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता दिखाते हैं. इसके अलावा ग्लोबल कमर्शियल रियल एस्टेट में बड़े निवेश वाले बैंकों के लिए नकदी की कमी हो सकती है, क्योंकि शॉर्ट सेलर्स उन्हें निशाना बना सकते हैं. इससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है.”
CRE कीमतों में ग्लोबल लेवल पर 12 फीसदी की गिरावट
दास ने जोर देकर कहा कि रेगुलेटर्स को अलर्ट रहना चाहिए और सिस्टमैटिक स्टेबिलिटी और बैंक बैलेंस शीट पर रिस्क से निपटने के लिए रेगुलेटरी उपाय करने चाहिए. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के मुताबिक, सीआरई कीमतों में ग्लोबल लेवल पर 12 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा यह सेक्टर हायर वैकेंसी रेट्स और बढ़ती फाइनेंसिंग कॉस्ट के प्रति भी संवेदनशील बना हुआ है.
ब्याज दरों में कटौती करने की जल्दबाजी में नहीं है RBI
भारतीय में महंगाई के बारे में दास ने संकेत दिया कि महंगाई में कमी के बावजूद आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करने की जल्दबाजी में नहीं है. उन्होंने कहा, ”महंगाई में नरमी जरूर आई है. यह अप्रैल 2022 के पीक लेवल 7.8 फीसदी से नरम होकर 4 फीसदी के आसपास आ गई है. मगर दरों में कटौती पर विचार करने से पहले अब भी थोड़ा इंतजार करना होगा.”
क्या होते हैं शॉर्ट सेलिंग
शॉट सेलिंग शेयर बाजार की एक एडवांस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसके जरिए एक ट्रेडर बाजार में भाग लेता है. जब कोई निवेशक किसी शेयर के टूटने पर दांव खेलता है तो इसे शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है. शॉर्ट सेलिंग करने वाले ट्रेडर्स को शॉर्ट सेलर्स कहा जाता है.