भारत के अपने पड़ोसी देश भूटान से रिश्ते बेहद अच्छे हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों देशों के संबंध बड़े भाई और छोटे भाई जैसे हैं. चीन ने जब भारत-भूटान-चीन ट्राई जंक्शन पर डोकलाम में भूटान की जमीन पर कब्जा किया तो भारत ने अपने छोटे भाई का साथ दिया लेकिन एक मुद्दा ऐसा भी है, जिसपर दोनों देशों के विचार आपस में नहीं मिलते हैं और यह है क्रिप्टोकरेंसी. भूटान बिटकॉइन में जबर्दस्त तरीके से निवेश कर रहा है. वहीं, भारत की नीति में क्रिप्टोकरेंसी के लिए जगह नहीं है. ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत इसे आतंकवाद और अवैध करोबार को बढ़ावा देने के जरिए के तौर पर देखता है.
भूटान बना चौथा सबसे बड़ा बिटकाइन रखने वाला देश
छोटा सा हिमालयी देश भूटान क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में गुपचुप तरीके से एक अहम खिलाड़ी बन गया है. फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 780 मिलियन डॉलर की बिटकॉइन एसट के साथ भूटान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बिटकॉइन धारक देश बन गया है. इस मामले में अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश शीर्ष पर हैं. अपनी जीडीपी का लगभग एक तिहाई हिस्सा भूटान ने बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी में रखा हुआ है. भूटान ने यह बिटकॉइन रिन्यूएबल हाइड्रोपावर इको-फ्रेंडली माइनिंग के जरिए प्राप्त किए हैं, जिसका कंट्रोल देश के स्वामित्व वाली कंपनी ड्रुक होल्डिंग के पास है. बिटडीयर के साथ साझेदारी कर भूटान का प्लान ने 2025 तक अपनी माइनिंग को 600 मेगावाट तक बढ़ाने का है.
भारत ने क्रिप्टोकरेंसी को नहीं दी मान्यता
अगर भारत की बात करें तो यहां सरकार ने क्रिप्टो को सीधे तौर पर डिजिटल करेंसी के रूप में मान्यता नहीं दी है. हालांकि इसके ट्रेड पर भारत सरकार कोई कोई दिक्कत भी नहीं है. भारत सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अवैध करोबार को बल मिल सकता है. आतंकवादी गतिविधि में शामिल लोग इस करेंसी के जरिए ट्रांजेक्शन कर देश की सुरक्षा को ही खतरे में डाल सकते हैं.
भारत ने क्रिप्टो कल्चर को कैसे फलने-फूलने से रोका?
यूं तो क्रिप्टोकरेंसी लंबे वक्त से भारत में ट्रेड हो रही है लेकिन दो साल पहले तक इसका चलन भारत में काफी ज्यादा बढ़ गया था. टीवी पर क्रिप्टोकरेंसी एप के विज्ञापन आने लगे. भारत सरकार ने क्रिप्टो पर लगाम लगाने के लिए दो साल पहले भारी टैक्स लगा दिया था. भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी के प्राप्त प्रॉफिट पर 30% टैक्स लगा दिया था. साथ ही 1% टीडीएस भी ठोक दिया था.