रायपुर । छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। सीबीआई ने इसे लेकर अधिसूचना जारी की है। हालांकि सीबीआई को राज्य में इस बात की अनुमति होगी कि वे केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्रों के अधिकारियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में कहीं भी जांच करने के लिए स्वतंत्र होगी। राज्य सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, सरकार के सरकार ने इसलिए उठाया है, ताकि वह अपने शासकीय सेवकों से संबंधित मामलों में नियंत्रण अपने हाथ रख सके। में राज्य सरकार ने भारतीय न्याय संहिता के, प्रावधान के मुताबिक यह अधिसूचित किया है। राज्य सरकार जो मामले जांच के लिए सीबीआई को सौंपेगी, उन मामलों की ही जांच केंद्रीय संस्था कर पाएगी। बीएनएस के प्रावधान के मुताबिक राज्य सरकार ने यह अधिसूचित किया है। 2001 में राज्य सरकार ने सीबीआई को कार्रवाई के लिए दी थी सामान्य सहमती, लेकिन भूपेश नरकार ने अपने कार्यकाल में सामान्य
सहमति को वापस ले लिया था। धूपेश सरकार ने 10 जनवरी 2019 को सीबीआई पर बैन लगाया था। बदले नियम के मुताबिक राज्य के मामलों में जांच करने कैबिनेट से सीबीआई को अनुमति लेनी पड़ती थी, लेकिन 2023 में बीजेपी सरकार बनने के बाद बैन को हटा दिया। 20 फरवरी 2024 को सीबीआई बैन हटाने के बाद सीजीपीएससी 2021 मामला, महादेव सट्टा एप, बिरनपुर हत्याकांड की जांच सीबीआई को सुपूर्द की गयी। इधर छत्तीसगढ़ में सीबीआई की लिमिट तय होने से राजनीतिक गलियारों में सियासत की बयार बह रही है। छत्तीसगढ़ सरकार का CBI
निर्णय राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। सीबीआई पर राजनीतिक हलचल को देखते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि एक तरफ बीजेपी सरकार के है उससे बचने लिए रास्ता निकाला गया है। हालांकि भाजपा ने इस पर पलटवार किया है। डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा है कि सीबीआई जांच में अनुमति लेने के मामले को सोच समझकर फैसला लिया गया है। प्रशासनिक रूप से किस तरह से काम करना है उसके आधार पर सरकार निर्णय करती है। कांग्रेस ने केवल प्रश्न उठाने का काम किया, उत्तर देने का स्वभाव कांग्रेस का नहीं है। 5 साल तक केवल प्रश्न करने का काम किया है, इसलिए आगे भी यही कर रहे हैं।
राज्य सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, यह कदम सरकार ने इसलिए को उठाया है, ताकि वह अपने शासकीय एंटी देती है और सेवकों से संबंधित मामलों में नियंत्रण अपने हाथ में रख सके। अगर ऐसा नहीं होगा तो सीबीआई राज्य के किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को जब चाहे भ्रष्टचार या अन्य किसी आपराधिक मामले संबंधित शिकायत के आधार पर जांच प्रारंभ कर गिरफ्तार भी कर सकती है, लेकिन अब सीबीआई भी राज्य के कर्मियों पर उसी समय हाथ डाल पाएगी, जब उसे ऐसा करने के लिए राज्य सरकार की पूर्व लिखित अनुमति हासिल होगी।
साथ अब ये भी साफ है कि राज्य सरकार की अफसर कर्मियों की किसी भी सरकार के सफारी कादिर को भी शुरू माही कर पाएगी। राज्य सरकार ने सीबीआई के लिए ये शर्त भी रखी है कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित लोकसेवकों से संबंधित मामलों में राज्य सरकार की पूर्व लिखित अनुमति के बिना ऐसा कोई अन्वेषण नहीं किया जाएगा, जैसा कि केंद्र सरकार या केंद्रीय उपक्रमों के अफसर, कर्मियों संबंधित मामलों में करने की अनुमति है।