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श्रीलंका संग BAN-मालदीव जैसे हालात पैदा नहीं होने देगा भारत, मोदी मंत्र लेकर दिसानायके से मिलने जा रहे जयशंकर

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भारतीय विदेश नीति के चाणक्‍य एस जयशंकर रूस, यूक्रेन और अमेरिका के दौरे के बाद अब अपने सबसे करीबी पड़ोसी श्रीलंका जाने वाले हैं. पिछले सप्ताह ही श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके चुने गए हें. उनके पदभार संभालने के बाद यह किसी भी बड़े भारतीय नेता का श्रीलंका में पहला दौरा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर और श्रीलंका की नई सरकार के बीच बैठक इसलिए भी बहुत अहम है क्‍योंकि हिन्‍द महासागर में भारत के इस पड़ोसी देश में मार्क्‍सवादी विचारधारा वाली सरकार आई है.

श्रीलंका की विदेश नीति में संभावित बदलाव को लेकर भारत में भी काफी चिंताएं बनी हुई हैं. जयशंकर वहां राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा राष्‍ट्रपति दिसानायके से मुलाकात करने वाले पहले विदेशी राजनयिक थे. अब उम्‍मीद है कि एस जयशंकर 4 अक्टूबर को श्रीलंका जाएंगे और बीते 12 महीनों में दिसानायके से अपने संपर्क को और मजबूत करने का प्रयास करेंगे. साल की शुरुआत में वो दिल्‍ली में दिसानायके से मिले थे. अपनी यात्रा के दौरान तब दिसानायके ने विदेश मंत्री के साथ-साथ एनएसए अजीत डोभाल से भी मुलाकात की थी.
दिसानायके भारत की पहली पसंद नहीं
यह जगजाहिर है कि दिसानायके भारत की श्रीलंका में पहली पसंद नहीं हैं लेकिन भारत सरकार को उम्‍मीद है कि राष्ट्रपति बनने के बाद दूसरे सप्ताह में जयशंकर की यात्रा से दोनों देशों के बीच वैसे संबंध नहीं रहेंगे जैसे मालदीव के नए राष्ट्रपति और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ हैं. मालदीव में मोहम्मद मुइजू सरकार आते ही उन्‍होंने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसी तर्ज पर शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद अब बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्‍मद यूनुस भी भारत से आंखे तरेरे बैठे हैं.