इजरायल और ईरान के बीच जंग छिड़ने के पूरे आसार हैं. एक तरफ अकेले इजरायल हिजबुल्लाह के ठिकानों को चुन-चुनकर तबाह कर रहा है. वहीं हिजबुल्लाह और ईरान भी इजरायल पर लगातार हमला कर रहे हैं. पश्चिमी देशों के नेताओं ने इजरायल से संयम बरतने का आग्रह किया है, वरना ईरान पर एक बड़े हमले की आशंका जताई जा रही थी. अगर बात ईरान पर हमले की हो तो इजरायल के पास कई विकल्प हैं. इसमें सैन्य, आर्थिक या यहां तक कि न्यूक्लियर टारगेट के खिलाफ हमले शामिल हो सकते हैं. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उन्होंने बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार से कहा था कि अमेरिका जंग का समर्थन नहीं करेगा.
हवाई हमलों से सुरक्षा करने के मामले में ईरान अपेक्षाकृत रूप से कमजोर है. जाहिर है इजरायली मिसाइलों या वायु सेना की बमबारी को रोकने के लिए उसे जूझना होगा. ऐसा ही 19 अप्रैल को हुआ था. तब इजरायल ने ईरान के मिसाइल हमले का जवाब देते हुए सैन्य-औद्योगिक शहर इस्फहान के एक हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया था. जबकि यहां पर ईरान की सबसे अच्छी वायु रक्षा प्रणाली (रूसी एस -300) तैनात थी. यह एक ऐसा हमला था जिसका उद्देश्य ईरान को यह दिखाना था कि इजरायल क्या करने में सक्षम है. द गॉर्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के मिडिल ईस्ट एक्सपर्ट फैबियन हिंज ने कहा, “अगर परमाणु स्थलों पर हमला करना संभव नहीं है, तो इजरायल के लिए दो बड़े विकल्प हैं कि क्या वह सैन्य या आर्थिक लक्ष्यों पर हमला करना चाहता है.”
इजरायल के लिए सीधी प्रतिक्रिया यह होगी कि वह ईरान के मिसाइल और ड्रोन ठिकानों पर हमला करने की कोशिश करेगा. फैबियन हिंज के अनुसार, ये ठिकाने या तो भूमिगत हैं और कुछ मामलों में ‘पहाड़ों के नीचे’ स्थित हैं. हालांकि बमबारी करना और प्रवेश द्वारों को बंद करना संभव हो सकता है, लेकिन इन ठिकानों को सभी बड़े पारंपरिक विस्फोटकों को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है. उन पर हमला करने से भविष्य के हमलों को रोका नहीं जा सकता है.” यह विकल्प भी हो सकता है कि ईरानी वायु रक्षा ठिकानों को फिर से निशाना बनाया जाए. वो भी इस बार बड़े पैमाने पर – जो तेहरान, इस्फहान और फारस की खाड़ी के बंदरगाहों को कवर करते हैं. या अधिक बड़ा हमला सैन्य-औद्योगिक उत्पादन को टारगेट कर सकता है. जिस तरह जनवरी 2023 में इस्फहान में एक हथियार कारखाने पर ड्रोन हमला किया था. हालांकि, ऐसे सभी हमलों में गलत अनुमान लगाने और ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका होती है.
ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमला किया था. इजरायल के ईरान के तेल के बुनियादी ढांचे पर हमले को उसी की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया है. ईरान का लक्ष्य खड़ग तेल टर्मिनल को बचाना है. मोटे अनुमानों के अनुसार यह टर्मिनल 90 फीसदी कच्चे तेल के निर्यात को संभालता है, जिनमें से अधिकांश चीन के लिए नियत हैं. अन्य प्रमुख निशानों में इराक की सीमा के पास अबादान रिफाइनरी शामिल है, जो ईरान की घरेलू तेल जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संभालती है. गार्जियन के अनुसार ईरान का तेल उद्योग काफी एक्सपोज हो गया है. उसके अनुसार आर्थिक लक्ष्यों पर हमला करने का दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है. ईरान की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है और शासन हमेशा प्रतिबंधों से राहत चाहता है.
अगर इजरायल ने अधिक संकीर्ण रूप से केंद्रित सैन्य हमला किया तो इसकी तुलना में ईरानी प्रतिशोध की संभावना अधिक है. ईरान के सैन्य प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी ने कहा, “अगर हमला किया गया, तो तेहरान एक और बड़े और अधिक व्यापक मिसाइल हमले के साथ जवाब देगा. जिस तरह का हमला मंगलवार को किया गया था, उसे फिर दोहराया जाएगा और शासन के सभी बुनियादी ढांचों को निशाना बनाया जाएगा.”