इजरायल-ईरान जंग के बीच बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहते हैं. कूटनीतिक चैनल के माध्यम से बातचीत के रास्ते तलाशे जा रहे हैं ताकि किसी भी तरह से इस जंग को रोका जा सके. ईरान को भी पता है कि इजरायल को सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही समझा सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट के लिए रूस के कजान शहर जाएंगे, तभी दोनों के बीच मुलाकात हो सकती है. ईरान चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग से बातचीत हो. इसमें कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. ब्रिक्स का आयोजन इस बार रूस कर रहा है और उसने ईरान को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया है.
जंग पर भारत का रुख
7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकी हमला बताया था. भारत हमेशा से ही यह बात कहता रहा है कि हर हाल में बंधकों की रिहाई होनी चाहिए. हिजबुल्लाह इजरायल संघर्ष को लेकर भी भारत हमेशा कूटनीतिक रास्ते तलाशने पर जोर देता रहा है. भारत कहता रहा है कि इस मसले का समाधान बातचीत से ही किया जाना चाहिए. पीएम मोदी फिलिस्तीन में मुश्किल हालात से गुजर रहे लोगों की मदद के लिए दुनिया से अपील भी करते रहे हैं.
क्यों ये मुलाकात अहम
ईरान जानता है कि इजरायल और भारत के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं. उससे भी ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच एक खास केमेस्ट्री है. ईरान के राष्ट्रपति को पता है कि अगर पीएम मोदी इस मामले को सुलझाने की कोशिश करते हैं तो कोई न कोई हल निकल सकता है. क्योंकि भारत ईरान का भी अच्छा मित्र है. और भारत नहीं चाहेगा कि ईरान को किसी तरह का संकट झेलना पड़े.
4 प्वाइंट में समझिए भारत कहां खड़ा
1-हमास ने 7 अक्तूबर को इजरायल पर हमला करके सैकड़ों निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन पहले नेताओं में से थे जिन्होंने हमलों की निंदा की और इजरायल को पूरा समर्थन दिया. उन्होंने एक्स पर लिखा, इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा है. हमारी प्रार्थना निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. हम इस मुश्किल घड़ी में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.
2-हालांकि, जब इजरायल ने हमास पर अटैक किया तो फिलिस्तीन में भारी तबाही मची. वहां तमाम निर्दोष लोग हताहत हुए. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर भारत ने 13 टन मेडिकल उपकरण समेत 70 टन मानवीय सहायता वहां भेजी. कुछ दिनों पहले भी भारत ने गाजा के लोगों के लिए तमाम चीजें भेजी हैं. भारत उनके साथ हमेशा खड़ा नजर आया. उनकी मदद के लिए 5 मिलियन डालर देने का वादा किया है.
3-विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के नेताओं से बातचीत की है. हिंसा को खत्म करने की अपील की है. जंग तुरंत रोकने की बात कही है. भारत पहले से इजरायल और फिलिस्तीन का समर्थक रहा है. वह एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य को मानता है तो वहीं इजरायल को भी मानता है. चाहता है कि दोनों देश शांतिपूर्वक रहें.
4- पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की थी. उनसे गाजा के हालात पर चिंता व्यक्त की थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग महमूद से मुलाकात करने के कई मायने निकाले गए. भारत यह संदेश देना चाहता था कि वह फिलिस्तीन के साथ उसी तरह डटकर खड़ा है. उसके रुख में कभी बदलाव नहीं आया.