भारत में पहला हृदय प्रत्यारोपण (Heart Transplant) कर इतिहास रचने वाले डॉ. पी वेणुगोपाल का निधन हो गया है. मंगलवार देर शाम इन्होंने 82 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. डॉ. वेणुगोपाल का नाम इतनी उपलब्धियां दर्ज हैं कि उनकी गिनती करना मुश्किल हो जाए. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, एम्स नई दिल्ली के पूर्व निदेशक रह चुके डॉ. वेणुगोपाल ने एम्स में ही बतौर कार्डियोवैस्कुलर सर्जन रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोलियों से छलनी हालत में भी सर्जरी की थी.
वेणुगोपाल ने 16 साल की उम्र में एम्स में बतौर एमबीबीएस छात्र के रूप में शुरुआत की थी. जहां वे एम्स के टॉपर रहे. इतना ही नहीं कार्डियोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उन्होंने साल 1994 में भारत में पहला पेसमेकर इम्प्लांटेशन और हार्ट ट्रांसप्लांट कर मेडिकल क्षेत्र की दुनिया में एतिहासिक योगदान दिया. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक 50 हजार से ज्यादा हार्ट सर्जरी कीं. उनकी सेवाओं को लेकर भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1998 में देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण देकर सम्मानित किया था.
निधन से पहले डॉ. वेणुगोपाल ने अपनी पत्नी प्रिया सरकार और बेटी के साथ मिलकर साल 2023 में इंदिरा गांधी के अलावा अन्य मरीजों के इलाज से जुड़े संस्मरणों पर आधारित किताब हर्टफेल्ट का विमोचन किया था.
डॉ. वेणुगोपाल के निधन पर न केवल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा बल्कि फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स, देशभर की आरडब्ल्यूए, फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन आदि ने श्रद्धांजलि दी है.
अपनी बाईपास सर्जरी में भी कायम की मिसाल
दुनियाभर में नाम कमाने वाले डॉ. वेणुगोपाल को जब साल 2005 में हार्ट की बाईपास सर्जरी की जरूरत हुई तो उन्होंने विदेश में इलाज कराने के बजाय एम्स में ही अपने जूनियर डॉक्टर से सर्जरी कराई. उनका मानना था कि भारत में भी कुशल और विशेषज्ञ डॉक्टर हैं. इससे देश में इलाज और एम्स जैसे संस्थान पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा.