चीन ताइवान पर हमला करने की तैयारी कर रहा है, ये सवाल इसलिए क्योंकि एक दिन पहले ही चीन की सेना ने ताइवान के पास बड़े पैमाने पर मिलिट्री डील खत्म की है. और अब राष्ट्रपति शी जिनपिंंग उस बॉर्डर के उस इलाके में पहुंच गए, जो ताइवान से बिल्कुल सटा हुआ है. जानकारों का कहना है कि जिनपिंग वहां की तैयारियों का जायजा लेने के लिए गए हैं.
चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, जिनपिंंग मंगलवार दोपहर अचानक दक्षिण पूर्वी फुजियान प्रांत के डोंगशान काउंटी पहुंच गए. इसके बारे में किसी को पहले से जानकारी नहीं दी गई थी. यह इलाका ताइवान से काफी नजदीक है. पहले भी चीन की आर्मी पीएलए यहीं पर मिलिट्री ड्रील के जरिये ताइवान को धमकाने की कोशिश करती रही है. कहा जा रहा है कि जिनपिंग दो दिन से वहीं रुके हुए हैं और ये नहीं पता कि वे कब वहां से जाएंगे.
वॉरशिप और एयक्रॉफ्ट उतारे
इससे पहले सोमवार शाम को पीएलए ने ताइवान की घेराबंदी करते हुए 13 घंटे का युद्धाभ्यास किया. “ज्वाइंट स्वॉर्ड-2024बी” नाम की इस मिलिट्री ड्रील में नेवी और एयरफोर्स शामिल थी. ज्यादातर कोशिश प्रमुख बंदरगाहों पर नाकाबंदी करने की थी. चीनी नेवी का जंगी वॉरशिप लियाओनिंग भी इसमें शामिल किया गया था. अंधेरे में युद्धपोत से लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने की तस्वीरें और वीडियो चीनी मीडिया ने जारी की थी.
चीन क्यों भड़का
चीनी सेना ने धमकी देते हुए कहा कि यह मिलिट्री ड्रील ताइवान की आजादी मांगने वालों के लिए चेतावनी है. चार दिन पहले ताइवान के नेता विलियम लाई चिंग-ते ने भाषण दिया था. तब उन्होंने कहा था कि ताइवान किसी का गुलाम नहीं, यह आजाद मुल्क है. चीन के पास इस हक जताने का कोई अधिकार नहीं है. इसी के बाद से चीन भड़का हुआ है. बीजिंग ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है और जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक हथियाने की धमकी देता रहता है. उधर, अमेरिका लगातार ताइवान को मदद देता आ रहा है.