एक समय देश में समानांतर बैंकिंग सिस्टम चलाने वाले सहारा समूह के पतन के बाद से ही लाखों निवेशकों की निगाह सरकार की तरफ उठी हुई है. अपनी गाढ़ी कमाई वापस पाने की उम्मीद में यह निवेशक लगातार प्रदर्शन और डिमांड कर रहे हैं. मोदी सरकार भी इन निवेशकों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. अभी तक हजारों करोड़ रुपये सरकार ने जुटा भी लिए हैं. इसी बीच खबर आई है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा समूह के बड़े अधिकारियों के ठिकानों और कार्यालयों पर छापे मारे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ईडी की छापेमारी से निवेशकों को क्या नफा-नुकसान होने वाला है.
यूपी के पूर्व डीआईजी लक्ष्मी नारायण से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि ईडी की इस कार्रवाई का सीधा फायदा निवेशकों को ही मिलेगा. उन्होंने बताया कि ईडी ने यह कार्रवाई सहारा समूह में पहले हुई अनियमितताओं और निवेशकों का पैसा हड़पने में शामिल रहे आरोपियों के खिलाफ हुई है. जाहिर है कि इसका मकसद निवेशकों के पैसों से जुड़ी जानकारियां निकालना और उनके हित में कदम उठाना है.
जब्त पैसों का क्या करता है ईडी
पूर्व डीआईजी ने बताया कि अगर ईडी की छापेमारी में निवेशकों के पैसों के हेरफेर का पता चलता है और उससे रिकवरी की जाती है तो मामला समाप्त होने पर यह पैसा वापस सरकार के पास जमा करा दिया जाएगा. सरकार बाद में इन पैसों को वापस निवेशकों को लौटा देगी. जाहिर है कि इस पूरी प्रक्रिया में आखिरकार निवेशकों को ही फायदा मिलेगा, क्योंकि ईडी ने यह कदम गलत तरीके से दबाए गए निवेशकों के पैसों को लौटाने के लिए ही उठाया है.
कितने निवेशकों का फंसा है पैसा
आपको बता दें कि साल 2012 से ही सहारा के कामकाज पर रोक लगा दी गई है. इससे पहले करीब 20 साल तक देश के करीब 2.76 करोड़ छोटे निवेशकों ने अपना पैसा सहारा की बचत योजनाओं में निवेश किया था. एक अनुमान के मुताबिक, निवेशकों के करीब 80 हजार करोड़ रुपये सहारा समूह में जमा किए गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मोदी सरकार ने करीब 5,000 करोड़ रुपये वसूलकर उसे लौटाने का प्लान बनाया है.
कितना पैसा लौटाने का है प्लान
आपको पता ही है सरकार जैसे-जैसे निवेशकों के पैसों को वसूलेगी यह रकम वापस करती जाएगी. फिलहाल सरकार को 5 हजार करोड़ रुपये मिले हैं तो उसने पहले हर निवेशक को अधिकतम 10 हजार रुपये लौटाने की बात कही थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है. इस तरह देखा जाए तो अगर प्रति निवेशक न्यूनतम 10 हजार की रकम भी लौटाई जाती है तो भी सरकार को कम से कम 27 हजार करोड़ रुपये चाहिए होंगे. माना जा रहा है कि इसीलिए ईडी ने सहारा से जुड़े अधिकारियों पर शिकंजा कसा है, ताकि निवेशकों को लौटाने के लिए और रकम का इंतजाम किया जा सके.