भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि वर्तमान स्थिति में ब्याज दरों में कटौती “जल्दबाजी” और “बहुत जोखिम भरी” होगी क्योंकि खुदरा महंगाई अभी भी उच्च स्तर पर है. उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य की मौद्रिक नीतियों का निर्धारण आय और अन्य आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगा. इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के कारण नीतिगत दरों (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया था और मौद्रिक नीति का रुख न्यूट्रल कर दिया था. अगले द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा 6 दिसंबर को होगी.
गवर्नर दास ने ब्लूमबर्ग द्वारा आयोजित इंडिया क्रेडिट फोरम में कहा कि सितंबर में मुद्रास्फीति ऊंची रही थी और अगले माह भी इसमें बढ़ोतरी की संभावना है. इसीलिए, उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में नीतिगत दरों में कटौती का निर्णय जोखिम भरा होगा. अगर नीतिगत दरों में कटौती नहीं होती है तो इसका मतलब है कि आम लोगों को मिलने वाले लोन पर भी ब्याज नीचे नहीं आएगा.
आरबीआई पुलिस नहीं
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक किसी पुलिसकर्मी की तरह काम नहीं करता, बल्कि वह वित्तीय बाजार पर कड़ी नजर रखता है और जरूरत पड़ने पर नियामकीय कदम उठाता है. आरबीआई गवर्नर की यह टिप्पणी आरबीआई की तरफ से नवी फिनसर्व और तीन अन्य गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के खिलाफ बृहस्पतिवार को की गई नियामकीय कार्रवाई के एक दिन बाद आई है. आरबीआई ने सचिन बंसल की अगुवाई वाली नवी फिनसर्व एवं तीन अन्य एनबीएफसी को 21 अक्टूबर की कारोबार समाप्ति से कर्ज मंजूर करने और वितरण से रोकने का आदेश दिया है. यह कदम अत्यधिक मूल्य निर्धारण और सुपरविजन को लेकर उपजी चिंताओं के कारण उठाया गया है.
आरबीआई के गवर्नर ने कहा, “हम पुलिसकर्मी नहीं हैं. पर हम नजर रखे हुए हैं. हम बहुत बारीकी से निगाह रखे हुए हैं. हम कर्ज बाजारों पर निगरानी रखते हैं और जब आवश्यक हो जाता है तो हम कार्रवाई करते हैं.” दास ने मौजूदा समय को भारत का दौर बताते हुए कहा, “भारत की वृद्धि की गाथा अभी भी कायम है. मुद्रास्फीति अब काफी हद तक लक्ष्य सीमा के भीतर आ गई है. इसके कम होने की उम्मीद है.”