भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव अब कम होने लगे हैं. भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पेट्रोलिंग के लिए सहमत हो चुके हैं. भारत ने बातचीत और कूटनीति के जरिए आखिरकार चीनी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर ही दिया. भारत और चीन के बीच यह लेटेस्ट समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग यानी गश्त से जुड़ा है. एलएसी पर सेना की गश्त यानी पेट्रोलिंग को लेकर सहमति के बाद देपसांग और डेमचोक में जारी गतिरोध अब खत्म होगा. एलएसी पर शांति के प्रयासों की दिशा में यह एक तरह से पहला कदम है. अभी और भी ऐसे प्वाइंट हैं, जहां से चीनी सेना को पीछे हटना है.
सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग को लेकर जो सहमति बनी है, उसकी तस्वीर कुछ दिनों में साफ हो जाएगी. सालों से जारी तनाव के बीच एलएसी पर हालात सामान्य बनाने की दिशा में यह पहला कदम है. भारत और चीन के बीच नए समझौते के तहत अब देपसांग इलाके में चीनी सैनिक भारतीय जवानों को नहीं रोकेंगे. ठीक यही काम भारत भी करेगा. यानी इस इलाके में दोनों देशों के सैनिक पेट्रोलिंग करेंगे. हालांकि, दोनों देशों की ओर से अस्थायी चौकियों को हटाया जाएगा. यहां बताना जरूरी है कि यह इलाका उस जगह से 18 किलोमीटर अंदर है, जिसे भारत अपना क्षेत्र मानता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि साउथ में डेमचोक के पास चारडिंग निंगलुंग नाला ट्रैक जंक्शन पर भी भारत और चीन के बीच इसी तरह की कार्रवाई होगी. यहां भी दोनों देश एक-दूसरे को रोकेंगे-टोकेंगे नहीं और नियमित संख्या में जवान पेट्रोलिंग करेंगे. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि कुछ किलोमीटर पीछे हटने की योजना से भारतीय सैनिकों को देपसांग (देप्सांग) में अपने पारंपरिक गश्ती पॉइंट (पीपी) 10, 11, 11ए, 12 और 13 तक पूरी पहुंच मिल पाएगी या नहीं, जो उत्तर में महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम दर्रे की ओर हैं.
एलएसी के ये वे इलाके हैं, जहां पर चीन और भारत दोनों के दावे हैं. हालांकि, दावा किया जा रहा है कि भारतीय सेना के जवान सभी इलाकों में गश्त करेंगे और महीने में दो बार गश्त की जाएगी. सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्ष पेट्रोलिंग यानी गश्त का समन्वय करेंगे. टकराव से बचने के लिए दोनों ओर से 15-15 जवान ही गश्त करेंगे. भारत और चीनी सेनाओं ने गलवान, पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे, कैलाश रेंज और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से डिसइंगेजमेंट के बाद पहले ही 3 किमी से 10 किमी तक के नो-पेट्रोल बफर जोन बनाए थे.
इनमें से अधिकतर बफर जोन एलएसी पर भारत की तरफ बनाए गए थे. आखिरी बार सैनिकों का पीछे हटना सितंबर 2022 में हुआ था. ये बफर जोन अस्थायी व्यवस्था माने जा रहे थे. लेकिन देपसांग और डेमचोक में तनाव की वजह से भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में अपनी 65 में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट तक नहीं पहुंच पा रहे थे. ये पेट्रोलिंग पॉइंट उत्तर में काराकोरम दर्रे से शुरू होकर दक्षिण में चुमार तक जाते हैं. मगर नए समझौते से भारतीय सेना के जवान पेट्रोलिंग कर पाएंगे. पूर्वी लद्दाख में 2020 में हुई हिंसक सीमा झड़पों के बाद से ही भारत और चीन के रिश्ते तल्ख हो चुके हैं.