राजनांदगांव : औंधी क्षेत्र के ग्राम तोड़के निवासी 11वीं की छात्रा भवानी बढ़ई (15 साल) ने दस दिन पहले कीटनाशक पी लिया था। 14 अक्टूबर को जब माता-पिता खेत गए थे, उस दौरान उसने आत्महत्या का प्रयास किया। जहर फैलने लगा तो उसी ने पड़ोस में इसकी सूचना दी। पिता हरीश चंद्र को सूचना मिली तो वे घर पहुंचे और भवानी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र औंधी ले गए। वहां डॉक्टर ने उपचार के नाम पर खानापूर्ति की।
रात भर अस्पताल में उसे भर्ती रखा और अगले दिन छुट्टी दे दी। कहा- रेफर नहीं करना पड़ेगा। मामला दबाने के लिए 5 हजार रुपए भी परिजन से मांगे। रुपए नहीं होने की बात कही तो 3 हजार की मांग की। गरीब परिजन ले देकर उसे 500 रुपए दिए। 15 अक्टूबर को भवानी को घर ला लिया गया। लेकिन हालत में सुधार नहीं दिखा।
औंधी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और स्टाफ ने बाकी की रकम मांगने के लिए बाकायदा इनका नाम और पता लिखकर रखा था। इसकी सूचना न तो औंधी थाने में दी गई और न ही उसकी काउंसिलिंग हो पाई। 15 अक्टूबर को घर लाने के बाद भवानी खाना नहीं खा रही थी।
अगले दिन 16 अक्टूबर की रात उसके तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद परिजन भवानी को सीधे राजनांदगांव के एक प्राइवेट अस्पताल लेकर आए। यहां चार दिन रखा गया लेकिन हालत में सुधार नहीं हो पाया। डॉक्टरों ने बताया कि हालत नाजुक है। सिर्फ एक प्रतिशत चांस है। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। वहां चार दिन बाद गुरुवार की दोपहर 4 बजे भवानी ने दम तोड़ दिया।
औंधी थाने में की शिकायत, अस्पताल के डॉक्टर पर एफआईआर की मांग परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इसकी शिकायत भी औंधी थाने में की है। गुरुवार को भवानी के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान परिजनों ने कहा कि इस तरह की लापरवाही आगे किसी के साथ न हो। यहां जिला भाजपा अध्यक्ष मदन साहू, सांसद प्रतिनिधि राजू टांडिया भी मौजूद रहे। उन्होंने मामले में कहा कि यह डॉक्टर की घोर लापरवाही है। जो भी दोषी है उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए। संगठन की ओर से भी इस संबंध में शिकायत की जाएगी। पहले भी इस तरह की लापरवाही के मामले यहां आ चुके हैं। डॉक्टर पर एफआईआर भी दर्ज कराएंगे।
इस मामले की जानकारी मिली है। मामले की जांच कराई
जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त
कार्रवाई होगी। – डॉ. एसआर मंडावी, सीएमएचओ