पिछले कुछ सालों में देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बड़े हैं. पीएम मोदी ने इस महीने के अपने मन की बात कार्यक्रम में भी डिजिटल अरेस्ट पर चिंता जताई थी, जिसे देखते हुए अब भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय (MHA) ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया है. MHA इंटरनल सिक्योरिटी के सेक्रेटरी इस कमेटी को मॉनिटर कर रहे हैं. डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए यह विशेष अभियान चलाया जाएगा. गृह मंत्रालय के I4C विंग ने इसे रोकने के लिए सभी राज्यों की पुलिस से संपर्क साधा है. डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर तत्काल एक्शन के निर्देश दिए गए हैं.
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
बता दें कि इस साल डिजिटल अरेस्ट की 6000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई. मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिरी डिजिटल अरेस्ट क्या होता है. दरअसल, डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठग फोन या इंटरनेट के माध्यम से भोले-भाले लोगों को उनके घर पर ही बंदी बना लेते हैं. वो पहले गलत मामले में पकड़े जाने का डर दिखाते हैं. उसके बाद उसे साइबर फ्रॉड की मदद से घर पर ही बंधक बना लिया जाता है. बाद में वो पीड़ित शख्स की वर्षों की कमाई को ठग लेते हैं.
I4C विंग के पास डिजिटल अरेस्ट की जिम्मेदारी
डिजिटल अरेस्ट पर केस टू केस मॉनिटर MHA का I4C विंग करेगा. MHA साइबर विंग ने इन मामलों से जुड़े अब तक 6 लाख मोबाइल ब्लॉक किये हैं. यह सभी फोन साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में शामिल रहे हैं. MHA की I4C विंग अब तक 709 मोबाइल एप्प भी ब्लॉक कर चुकी है. साइबर फ्रॉड में शामिल 1 लाख 10 हज़ार IMEIs ब्लॉक किए गए हैं. साइबर फ्रॉड से जुड़े 3.25 लाख फेक बैंक एकाउंट अबतक फ्रीज हुए हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड की घटनाओं को लेकर लोगों को जागरूक किया था.