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क्या खरगे की मां को रजाकारों ने जलाया कौन थे रजाकार…..योगी के आरोपों का कब जवाब देगी कांग्रेस

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में अब चंद दिन बचे हैं. राज्य में 20 नवंबर को वोटिंग और 23 नवंबर को वोटों की गिनती है. इस बीच पूरे चुनाव प्रचार में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे की धूम है. इस नारे में राज्य में चुनावी माहौल को पूरी तरह बदल दिया है. यूपी सीएम के नारे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी राज्य में एक नया नारा ‘एक हैं तो सेफ है’ दे दिया. यह नारा भी योगी के नारे से मिलता जुलता है.

पिछले दिनों सीएम योगी के नारे की आलोचना करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन पर हमला किया था. उन्होंने कहा कि योगी भगवा वस्त्र पहनते हैं लेकिन बात कटने-मरने की करते हैं. ऐसी भाषा तो आतंकवादी ही बोलते हैं. खरगे के इस बयान के बाद और बवाल मच गया. खरगे ने परोक्ष तौर पर योगी की तुलना आतंकवादियों से कर दी. इससे भाजपा उनपर और आक्रामक हो गई. दोनों तरफ से खूब आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए. इस बीच इस विवाद में नया मोड़ आ गया है. सीएम योगी ने कांग्रेस अध्यक्ष पर एक नया आरोप लगाया है, जिससे कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर आ गई है.

कांग्रेस अध्यक्ष के परिवार की हत्या
सीएम योगी ने आरोप लगाया है कि रजाकारों ने कांग्रेस अध्यक्ष के परिवार को मार दिया था. रजाकारों ने खरगे की मां, चाचा और चाची को जला दिया था. लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष इन रजाकारों के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे. क्योंकि इससे उनको अपना वोट कटने का डर है. वह इस सच्चाई को छिपाते हैं. क्या कांग्रेस इस बात का जवाब देगी कि क्यों इस सच को छिपाया जाता है.

कौन थे रजाकार
दरअसल, आजादी के वक्त देश में पांच सौ से अधिक रियासतें थी. इसमें से एक सबसे बड़ा राजवाड़ा हैदराबादा था. यहां निजाम का शासन था. देश की आजादी के बाद निजाम खुद को एक आजाद मुल्क बनाना चाहते थे. तत्कालीन हैदारबाद राजवाड़े का दायरा मौजूदा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के इलाकों तक फैला हुआ था. सबसे अहम बात यह है कि जिस हैदराबाद पर निजाम का शासन था उसकी 80 फीसदी से अधिक जनता हिंदू थी, जबकि सत्ता की बागडोर मुस्लिम निजाम और उनके लोगों के हाथों में थी. निजाम के सैनिकों को रजाकार कहा जाता है. यह एक निजी सेना थी जो निजाम के शासन को बनाए रखने के लिए अपने विरोधियों पर जुर्म ढाहती थी.

हैदराबाद पर सैन्य कार्रवाई
देश की आजादी के बाद जब गृह मंत्री सरदार बल्लवभाई पटेल ने हैदराबाद में सैन्य हस्तक्षेप का आदेश दिया तो ये रजाकार खून-खराबे पर उतारू हो गए. उन्होंने हिंदुओं का कत्लेआम करना शुरू कर दिया. इन्होंने व्यापक स्तर पर हिंसा भड़काई. इस हिंसा में हजारों की संख्या में निर्दोष लोग मारे गए. सीएम योगी इसी हिंसा के संदर्भ में मल्लिकार्जुन खरगे पर आरोप लगा रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का पैतृक घर कर्नाटक के बिदर जिले में है. मौजूदा कर्नाटक के तीन जिले विदर, कलबुर्गी और रैचूर उस वक्त हैदराबाद राज्य के हिस्सा थे. रिपोर्ट के मुताबिक हैदाराबाद के भारतीय संघ में विलय से पहले यहां पर रजाकारों ने व्यापक हिंसा फैलाई थी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मु्ताबिक 8 मई 1948 को रजाकारों ने बिदर के एक गांव गोर्ता में 200 से अधिक लोगों को मार दिया. फिर वहां की लक्ष्मी मंदिर में इन शवों को जलाया गया. इसके साथ ही पूरे इलाके में भी व्यापक स्तर पर कत्लेआम किया गया. सीएम योगी का बयान इसी संदर्भ में है. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट है कि रजाकारों की इस हिंसा में सीधे तौर पर मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार को निशाना बनाया गया या नहीं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की 11 दिसंबर 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त तेलंगाना कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे जी निरंजन ने दावा किया था कि 1948 में खरगे के पैतृक घर को रजाकारों ने जला दिया था. इस घटना में उनकी मां की मौत हो गई थी. उस वक्त खरगे केवल सात साल के थे. हालांकि, इस मसले पर अभी तक आधिकारिक तौर पर कांग्रेस की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.