झांसी मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू में भर्ती छह नवजात लापता हैं, जिनके बारे में किसी के भी पास कोई संतोषजनक जबाव नहीं है। वहीं, परिजनों का रो-रो का बुरा हाल है। परिजनों का कहना है कि जब बच्चे एसएनसीयू में भर्ती थे तो वहां से कहां चले गए? कोई भी कुछ नहीं बता रहा है। इससे मरने वाले नवजात शिशुओं का आंकड़ा बढ़ सकता है। उधर, ये जानकारी भी सामने आई है कि छह बच्चे वार्ड में सुरक्षित हैं, इनके मां-बाप का पता नहीं है। जबकि दस बच्चों की हालत नाजुक बताई जा रही है। सात बच्चों का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। एक को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
वही, दस घंटे से अधिक का समय बीतने के बाद भी प्रशासन ने हादसे का शिकार हुए और लापता नवजात शिशुओं की कोई भी सूची जारी नहीं की है। वहीं, मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के बाहर महिला संध्या ने बताया कि उसका 12 दिन का बेटा, बंगरा की कविता का 15 दिन का बेटा, जालौन की संतोषी का एक दिन का बेटा, कबरई महोबा की नीलू का नौ दिन का बेटा, फुलवारा ललितपुर की संजना का 29 दिन का बेटा और राजगढ़ की नैंसी का बेटा नहीं मिल रहा है।
झांसी मेडिकल कॉलेज ने गायब बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। लापता बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर 9454417618 जारी किया गया है। उधर, झांसी मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशुओं की मौत के मामले में प्रशासन ने जांच के लिए छह डॉक्टरों का विशेष पैनल गठित किया है। इन शिशुओं के पोस्टमार्टम के लिए पोस्टमार्टम हाउस के बाहर एसपी सिटी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
उम्र पूरी कर चुके फायर सिलिंडर आखिर कैसे बचाते जान?
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि फरवरी 2024 में मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी की व्यवस्थाएं देखी गई थी। जून में ट्रायल भी किया गया था, मगर अफसोस की बात यह है कि एसएनसीयू में शुक्रवार की रात आग लगने की घटना हुई और 10 नवजात शिशुओं ने जलने से दम तोड़ दिया। यहां पर आग से बचाव के लिए लगे फायर इस्टिंगयुशर गवाही दे रहे हैं कि कोई दो साल पहले तो कोई एक साल पहले अपनी उम्र पूरी कर चुका था। जिसकी वजह से आग बुझाने में नाकाम साबित हुआ।
मेडिकल कॉलेज में भीषण आग, 10 शिशुओं की मौत
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की झुलसने एवं दम घुटने से मौत हो गई। जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। हादसे की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गई। सेना को भी बुला लिया। सेना एवं दमकल की गाड़ियों ने आग बुझाने में मदद कीं। दस नवजात की मौत से अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया। माता-पिता भी अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगाते रहे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शुक्रवार रात करीब दस बजे वार्ड से धुआं निकलता दिखा। वहां मौजूद लोगों ने शोर मचाया। जब तक कुछ समझ पाते, आग की लपटें उठने लगीं। कुछ ही देर में आग ने वार्ड को अपनी जद में ले लिया। वहां भगदड़ मच गई। नवजात को बाहर निकालने की कोशिश हुई, पर धुआं एवं दरवाजे पर आग की लपट होने से नवजात समय पर बाहर नहीं निकाले जा सके। दमकल की गाड़ियों के पहुंचने पर शिशुओं को बाहर निकाला जा सका।
शार्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसनट्रेटर में लगी आग
सीएमएस डॉ. सचिन माहूर के मुताबिक, शार्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसनट्रेटर में आग लग गई। देखते ही देखते आग की चपेट में पूरा वार्ड आया गया, जिससे वार्ड में भगदड़ मच गई। मौजूद स्टाफ व परिजन नवजातों को लेकर बाहर की ओर भागे।
आग की चपेट में आने से दस बच्चों की मौत हो गई है। जबकि, वार्ड में लगभग 54-55 बच्चे भर्ती थे। बाकी बचाए गए बच्चों का इलाज जारी है।