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‘लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए’, विरोध प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की किसान नेताओं को हिदायत…

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं से कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेताओं से कहा कि ‘वे प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने और लोगों को असुविधा न पहुंचाने के लिए मनाएं।’ दरअसल किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की सदस्यता वाली पीठ ने सुनवाई की।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में विरोध का अधिकार, लेकिन…
पीठ ने कहा कि ‘हमने देखा कि उन्हें (डल्लेवाल) रिहा कर दिया गया है और उन्होंने शनिवार को एक साथी प्रदर्शनकारी को भी आमरण अनशन समाप्त करने के लिए राजी किया है’। पीठ ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों को अदालत ने नोट कर लिया है और इन पर विचार किया जा रहा है। पीठ ने याचिकाकर्ता डल्लेवाल की वकील से कहा कि ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन इससे लोगों को असुविधा नहीं होनी चाहिए। किसानों का विरोध सही या गलत, हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।’ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ‘डल्लेवाल प्रदर्शनकारियों को कानून के तहत शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए राजी कर सकते हैं ताकि लोगों को कोई असुविधा न हो।’ पीठ ने कहा कि इस समय वे डल्लेवाल की याचिका पर विचार नहीं कर रही है, लेकिन वे बाद में संपर्क कर सकते हैं।
खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं किसान
उल्लेखनीय है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर से पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन शुरू किया था। हालांकि आमरण अनशन शुरू करने के कुछ घंटे बाद ही पुलिस ने उन्हें धरना स्थल से जबरन हटा दिया और लुधियाना के अस्पताल में भर्ती करा दिया। बीते शुक्रवार शाम में डल्लेवाल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और 30 नवंबर को डल्लेवाल ने फिर से खनौरी बॉर्डर पर आकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। किसान 13 फरवरी से ही खनौरी और शंभु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
किसानों की ये हैं मांगें
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

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