औंधी राजनांदगांव(अबतक समाचार वेब डेस्क):-छत्तीसगढ़ के मानपुर ब्लॉक के कोरचा को राज गढ़ के रुप में मान्यता प्राप्त है , 36 गढ़ के 36 में से एक महत्वपूर्ण गढ़ कोरचा में 124 गांव के 5000 से अधिक आदिवासियों ने अपनी पेन परम्परा को संविधानिक मान्यता देते हुए ग्राम सभा का आयोजन कर राजा रावण के दहन को प्रतिबंधित कर दिया है। गौरतलब है कि आदिवासियों को सवैंधानिक हक प्राप्त है कि वो अपने हक अधिकार, रूढि परंपरा को बचाने व संरक्षित करने के लिए अपनी ग्राम सभा का आयोजन कर अपने फैसले स्वयं कर सकते हैं, इन्ही हकों का उयोग करते हुए विभिन्न गांव में ग्राम सभा का आयोजन कर सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास कर तय किया की 124 गांव में रावण दहन में कोई भी आदिवासी कतई भी शरीक नही होगा ,ना ही कोई सहयोग देगा ना ही ऐसा कोई आयोजन करेगा । इसकी मुख्य वजह कार्यक्रम में मालूम पड़ी की आदिवासी राजा रावण को अपना पुरखा मानते हैं।
विगत दिनों आदिवासियों ने प्रशासन से भी दुर्गा के साथ महिषासुर की प्रतिमा ना रखने व रावण दहन ना करने की अपील की थी, साथ ही धार्मिक भावना आहत होने की भी बात कही थी। अधिसूचित क्षेत्र में शामिल पूरा मानपुर एरिया इन्ही मामलों की वजह से चर्चा में रहता हैं। पिछले वर्ष भी महिषासुर के अपमान के मामले में आदिवासियों ने थाने में मामला दर्ज करवाया था जिसमें कई आरएसएस एवं बीजेपी के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी।
इसी बीच आदिवासियों के इस आंदोलन में अचानक मुख्यमंत्री के पिता नंद कुमार बघेल के शरीक होने से पूरे क्षेत्र व प्रशासन में हडकंप मच गया, बघेल के समर्थन व धुर नक्सली क्षेत्र में उनके पहुंचने की खबर से पूरे क्षेत्र के आदिवासी 150 से अधिक ट्रेक्टरों, दर्जनों पिकउप , बैलगाड़ी में भर कर उन्हें सुनने पहुंचे।
उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि वो दिल्ली व उत्तरप्रदेश के प्रवास पर थे पर जैसे ही उन्हें जानकारी हुई वो फ्लाइट से कल रात ही रायपुर पहुंच कर सुबह सीधे कार्यक्रम के लिए निकले । कार्यक्रम में पहुंचते ही उन्होंने एक सिर के राजा रावण की चित्र पर सुमन अर्पित किए। उन्होंने ने भारी भीड़ के बीच अपनी किताब ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो का भी जिक्र किया और श्रीराम को कबंध व संभूक कुर्मी का हत्यारा करार दिया, श्रीराम को देश की शिक्षा व्यवस्था समाप्त करने वाला तथा ब्राह्मणों को आरक्षण देने वाला करार दिया। कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी समाज के विभिन्न वक्ताओं ने राजा महिसासुर, राजा रावण के तथाकथित असली इतिहास का बखान किया ।
कई वक्ताओं ने सामान्य परंपरा के विपरीत रावण, महिसासुर, हिरण कश्यप को मूलनिवासी राजा करार दिया बरहाल इस आयोजन से एक बार भी मानपुर पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, कार्यक्रम में सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी भी सम्मलित हुए कई पदाधिकारियों ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि अगर अगली बार दुर्गा की मूर्ति के साथ महिषासुर व भैंस की प्रतिमा को लगाया तो समाज अपने धार्मिक भावना का अपमान समझते हुए पुरजोर इसका विरोध करेगा । वही इस कार्यक्रम में बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर भी चर्चा हुई , ओबीसी आरक्षण के खिलाफ ब्राह्मण समाज कोर्ट गए थे जिस पर ब्राह्मण समाज पर निंदा प्रस्ताव भी पास किया गया ।आदिवासियों ने राजा महिषासुर की हत्या को नाजायज करार देकर शहादत दिवस घोषित किया ! राजा रावण, राजा महिषासुर, राजा बली, मेघनाथ , राजकुमारी होलिका, राजा हिरण कश्यप को पेन पुरखा मान पूजा अर्चना किया! शहादत दिवस के इस कार्यक्रम में कोराचा गढ़ के प्रमुख अजब शाहः मंडावी,गोड़ समाज के ब्लाक अध्यक्ष दिनेश उसेंडी सर्व अदिवादीवासी समाज के ब्लाक अध्यक्ष सूरज टेकाम सहित गांव प्रमुख(पटेल)सहित क्षेत्र के सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख उपस्थित थे।