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वायुसेना में कम होते फाइटर स्क्वाड्रन को मिली सांस, 12 सुखोई और होंगे भारतीय वायुसेना के पास, डील हुई डन

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लंबे समय से भारतीय वायुसेना अपने घटते फाइटर स्क्वाड्रन की चुनौती से जूझ रहा है. 2 फ्रंट वॉर की संभावनाओं के चलते इस वक्त 42 स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ स्वीकृत है. लेकिन नए जहाज आ नहीं रहे हैं और पुराने सर्विस से बाहर जा रहे हैं. ऐसी मुश्किल घड़ी में पीएम मोदी ने भारतीय वायुसेना को कुछ राहत की सांस जरूर दी है. भारत सरकार की सुरक्षा मामलों की केन्द्रीय मंत्रिमंडल की समिति यानि CCS ने बड़ा फैसला लेते हुए वायुसेना के लिए 12 सुखोई-30 फ़ाइटर की खरीदी पर मोहर लगा दी है. रक्षामंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(HAL) के साथ 13500 करोड़ रूपये की डील भी साइन कर ली. इन जेट का उत्पादन रूसी लाइसेंस के तहत भारत में होगा. रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी किए बयान में कहा गया की इन जेट का उत्पादन HAL की नाशिक की फैक्टरी में किया जाएगा और इसमें स्वदेशीकरण का हिस्सा 62.6 प्रतिशत होगा. इस फैक्टरी में पहले मिग और उसके बाद रूस से लाइसेंस के तहत सुखोई-30 फ़ाइटर जेट्स का उत्पादन हो चुका है.

फ्रंटलाइन फाइटर है सुखोई 30
भारत ने 1990 के दशक में रूस के साथ 272 सुखोई-30 फ़ाइटर जेट का सौदा किया था जिनमें से कुछ सीधा रूस से बनकर आए और बाकी का उत्पादन भारत में HAL ने किया. 13 सुखोई एयरक्राफ्ट क्रैश भी हुए जिससे इन 272 सुखोई-30 से अब 259 रह गई. इसी कमी को पूरा करने के लिए 12 अतिरिक्त सुखोई-30 जेट का सौदा किया गया है. भारतीय वायुसेना में इस समय 13 स्क्वाड्रन मौजूद है. भारतीय वायुसेना में इस समय सबसे ज्यादा तादाद सुखोई-30 फ़ाइटर जेट्स की ही है. दो सीटों और दो इंजिन वाला यह जेट 2 मैक की रफ्तार तक उड़ान भर सकता है और एक बार में 3000 किमी तक की दूरी तय कर सकता है. सुखोई को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया जा चुका है. इसमें 12 पॉड लगे हैं जिसमें अलग अलग तरह के मिसाइल और बम को लगाया जा सकता है. कुल 8000 किलो वज़न के हथियार ले जा सकता है. यह मल्टी रोल है इसलिए इसमें हवा से हवा और हवा से ज़मीन पर मार करने वाले अलग-अलग हथियार लगाए जा सकते हैं.

बालाकोट स्ट्राइक में निभाया था महत्पूर्ण रोल
कारगिल की जंग के बाद बालाकोट एयर स्ट्राईक ही एसा मौका था जब रीयल कॉंबेट मिशन के लिए आपरेशन लॉंच किया गया था. सुखोई उस फाइटर पैकेज का हिस्सा था. बम तो मिराज 2000 ने बरसाए लेकिन सुखोई उन मिराज को बालाकोट तक ले जाने के लिए फ्री एस्कॉर्ट की जिम्मेदारी. यही नही दुश्मन के किसी भी अटैक से मिराज को बचाते हुए ये सुखोई टाईड एस्कॉर्ट में भी शामिल थे. बालाकोट अटैक के बाद पाकिस्तीन एयरफोर्स के आपरेशन को भी मिग 21 के साथ साथ सुखोई ने ही चुनौती दी थी. इसके अलावा भारत और चीन के बीच लद्दाख में हुए तनाव के बाद तो इन सुखोई को लगातार तैयार रखा गया है

कब होंगे पूरे 42 फाईटर स्क्वाड्रन ?
भारतीय वायुसेना इस समय लड़ाकू स्क्वाड्रनों की कमी से जूझ रही है. वायुसेना के लिए स्वीकृत 42 स्क्वाड्रन की जगह इस समय वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन बची हैं. इस कमी को पूरा करने के लिए 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद प्रक्रिया जारी है. बाकी कमी स्वदेशी फाइटर जेट तेजस से करनी है. लेकिन तेजस में लगने वाले इंजिन के अमेरिका से आने में देरी होने के चलते इस कमी के पूरा करने में और ज्यादा देरी हो रही है. जानकारों की माने तो स्क्वाड्रन की संख्या को 31 से 42 करने में 15 साल से ज्यादा का लंबा वक़्त लग सकता है.