कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में राज्य शासन के निर्णय के परिपालन में जिले के शहरी क्षेत्रों में पट्टाधारी लोगों के पट्टों को भूमि स्वामी अधिकार में बदलने की तैयारियों के सिलसिले में अधिकारियों की बैठक ली। मौर्य सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। कलेक्टर श्र मौर्य ने अधिकारियों को इसके लिए सबसे पहले व्यापक सर्वे करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए नए आवेदन नहीं लेना है। शहरी क्षेत्रों में पुराने पट्टे जारी किए गए हैं उन्हीं का नियमितीकरण किया जाना है। पट्टे के रकबे से यादा जमीन पर काबिज होने पर नियमितीकरण आवास एवं व्यवसायिक प्रयोजन के हिसाब से नियमानुसार किया जाना है। नगरीय निकाय क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सिलिंग की गई है। इसी के आधार पर नियमित करने की कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में बताया गया कि पट्टाधारियों की निर्धारित सीमा तक अतिरिक्त कब्जे की जमीन के नियमितिकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितीकरण और भू-उपयोग में परिवर्तन के नियमितिकरण किया जाएगा। नियमितीकरण की कार्रवाई इस तरह की जाए कि किसी प्रकार की वित्तीय हानि न हो। विकास प्रभार के निर्धारण में पूर्ण सावधानी बरती जाए।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) अधिनियम-1984 में संशोधन कर पट्टाधृति अधिकार के पट्टों को भूमि स्वामी अधिकार में परिवर्तित करने का फैसला किया है। साथ ही पट्टाधारियों के कब्जे वाली अतिरिक्त जमीन के निर्धारित सीमा तक नियमितीकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितीकरण और भू-उपयोग में परिवर्तन का नियमितीकरण करते हुए भूमि स्वामी अधिकार प्रदान करने की कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में बताया गया कि पट्टाधारी के निर्धारित सीमा तक अतिरिक्त कब्जे की भूमि के नियमितिकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितीकरण और भूमि के प्रयोजन में परिवर्तन के नियमितीकरण का आवेदन या इस संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर प्राधिकृत अधिकारी द्वारा शीघ्र कार्यवाही शुरू की जाएगी। प्राधिकृत अधिकारी स्वप्रेरणा से भी ऐसे मामलों पर कार्यवाही कर सकते हैं। नियमितीकरण की कार्यवाही के लिए जिलों में आवश्यकतानुसार निरीक्षण दलों का गठन करने कहा गया है। इन दलों में राजस्व अधिकारी के साथ स्थानीय नगरीय निकायों के अधिकारी तथा ग्राम एवं नगर निवेश विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे।
बैठक में बताया गया कि नियमितीकरण के लिए प्राधिकृत अधिकारी द्वारा संयुक्त दल के साथ स्थल निरीक्षण कर प्रतिवेदन लिया जाएगा। पट्टाधारी के अतिरिक्त कब्जा की भूमि नियमितीकरण योग्य होने पर अर्थात कब्जे के अधीन अधिक भूमि व्यवस्थापित मूल भूमि से 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा तक नियमितिकरण किया जाएगा। इसके तहत नगर पंचायतों में 1,500 वर्गफुट नगर पालिकाओं में 1,200 वर्गफुट और नगर निगमों में 1050 वर्गफुट भूमि का नियमितिकरण किया जाएगा। पट्टाधारी द्वारा निर्धारित विकास प्रभार जमा कराए जाने पर कब्जे की अतिरिक्त भूमि को मूल पट्टाधारी के पक्ष में पट्टा प्रदान कर नियमितिकरण या भू-स्वामी अधिकार प्रदान किया जाएगा।
अवैध या अनियमित हस्तांतरण और भूमि प्रयोजन में परिवर्तन के मामलों में संयुक्त दल के प्रतिवेदन, कब्जाधारी के भूमिहीन होने, अधिनियम के अंतर्गत पात्र हितग्राही होने, भूमि प्रयोजन में परिवर्तन स्वीकार्य होने और वहां प्रभावी मास्टर प्लान के उल्लंघन नहीं होने की स्थिति मे निर्धारित विकास प्रभार जमा कराने के बाद पट्टा जारी कर नियमितिकरण या भूमि स्वामी अधिकार में परिवर्तित किया जाएगा। परिवर्तित भूमि प्रयोजन आवासीय होने पर कलेक्टर गाइडलाइन दर का 125 प्रतिशत और गैर-आवासीय होने पर 200 प्रतिशत के हिसाब से विकास प्रभार लेने के बाद ही संबंधितों को भूमि स्वामी अधिकार प्रदान किए जाएंगे।
कलेक्टर मौर्य ने बैठक में सर्वे का कार्य इस माह के अंत तक करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुराने पट्टों का ही नियमितीकरण किया जाना है। अलग-अलग सर्वे दल बनाकर सदस्यों को व्यापक प्रशिक्षण दिया जाए। बैठक में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तनुजा सलाम, अपर कलेक्टर ओंकार यदु, संयुक्त कलेक्टर एमडी तिगाला, नगर निगम राजनांदगांव के आयुक्त चंद्रकांत कौशिक सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।