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राजनांदगांव : कृषक-वैज्ञानिक परिचर्चा संपन्न : किसानों और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए लाभकारी मुद्दों पर साझा किए विचार

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राजनांदगांव(अबतक समाचार वेब डेस्क):-कृषि विभाग राजनांदगांव द्वारा आत्मा योजना के अंतर्गत किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के विचार एक मंच पर साझा करने के लिये कृषक-वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन गत दिवस किया गया। परिचर्चा में नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी ग्रीष्मकालीन धान हतोत्साहन, खरीफ फसलों के कीटव्याधि प्रबंधन, रबी फसलों की तैयारी, किसानों  की आय दोगुनी एवं जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग जैसे- किसान लाभकारी विषयों पर किसानो और कृषि वैज्ञानिकों ने विचार व्यक्त किए। 
    परिचर्चा की शुरूआत उप संचालक कृषि अश्वनी बंजारा ने राज्य सरकार की महत्वपूर्ण कार्यक्रम नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी, रबी मौसम में धान की जगह अन्य नगदी फसल जैसे विषय से की। उप संचालक कृषि ने कृषि लागत में कमी के लिए खेतों की तैयारी से लेकर फसल कटाई तक विभिन्न चरणों में किये गये जाने व्यय पर प्रकाश डालते हुए वैकल्पिक श्रोत अपनाकर लागत में तथा फसल उत्पादन में वृद्धि करने के उपाय सुझाए। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व एवं उपयोगिता की जानकारी विस्तारपूर्वक उन्होंने दी। किसानों को ग्रीष्मकालीन धान लगाने से होने वाली समस्याओं एवं हानि से तथ्यात्मक रूप से पावरपाइंट प्रेजेटेंशन एवं चलचित्र फोटाग्राफ के माध्यम से रूबरू कराया गया। सभी किसानो को ग्रीष्मकालीन धान नहीं लगाने के लिए शपथ ग्रहण कराया गया जिसे सभी किसानों ने सहर्ष स्वीकारते हुए ग्रीष्मकालीन धान नहीं लगाने का वचन दिया। ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलें जैसे-मक्का, गेहूं, चना उड़द, मसूर, अलसी, तिवडा आदि कम पानी की खपत वाली फसलों के खेती का विस्तृत जानकारी कृषकों को उप संचालक कृषि के माध्यम से दी गई। साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विस्तृत जानकारी एवं फसल कटाई प्रयोग में बड़ चढ़ कर भाग लेने की अपील की गई। जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग जैसे-समसामयिक एवं किसान हितैषी कृषि फसल उत्पादन तकनीकी के गुण धर्माे व प्रक्रिया के बारे मंे विस्तारपूर्वक किसानों से परिचर्चा की गई। कार्यक्रम में स्थित सभी किसानों ने भी उपलब्ध संसाधनों के बेहतर प्रबंधन तथा आय दोगुनी विषय पर अपने विचार वैज्ञानिकों के समक्ष प्रस्तुत किए। 
    कार्यक्रम में आधुनिक कृषि प्रणाली के साथ समन्वित कृषि व प्रक्षेत्र प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों परिचर्चा की गई। कृषि विज्ञान केन्द्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. मोहनिशा जंघेल ने कृषि एवं उद्यानिकी फसलों के रोग एवं कीट प्रबंधन हेतु समन्वित कीट-व्याधि प्रबंधन करने किसानों को प्रेरित किया। उन्होंने कम मात्रा ने रासायनिक दवाओं का उपयोग कर यांत्रिक व जैव विधि सहित कीट व्याधियों का नियंत्रण के उपाय के बारे में बताया। पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी डॉ. रितु वर्मा द्वारा विभागीय योजनाओं के साथ देशी गाय से जैविक कृषि जैव उत्पाद तैयार करने की क्रियाविधि बताई गई। अधिक दूध उत्पादन करने वाली नस्ल जैसे-साहीवाल, गिर जैसे नस्लों का कृत्रिम गर्भाधान विभागीय योजनाओं के माध्यम से लाभ उठाने की अपील की गई। पशुओं को होने वाली खुरपका, मुंहपका, गलघोंटू आदि बीमारियो के निदान की विस्तार से जानकारी दी गई। उद्यानिकी विभाग से वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी श्री शशिमौली पांडे द्वारा उद्यानिकी फसलांे एवं विभागीय योजनाओं के संबंध में विस्तारपूर्वक बताया गया। आम, अमरूद, मुनगा आदि फसलों की खेती की आधुनिक तकनीकों पर परिचर्चा की गई। 
    मत्स्य अधिकारी परवेज कुमार ने परिचर्चा में बताया कि कैसे मछली पालन के माध्यम से आजीविका व समन्वित कृषि प्रणाली अपनाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। कार्यक्रम में कृषक कल्याणकारी एवं फसलों को जोखिम से सुरक्षित रखने संचालित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की मार्गदर्शिका व फसल क्षति गणना की प्रक्रिया से भी उप संचालक कृषि द्वारा किसानों को अवगत कराया गया। कार्यक्रम में के सभी विकासखंडो के प्रगतिशील किसानों ने अन्य विभागों में भी किसान परिचर्चा जैसे- अन्य कार्यक्रम में लगातार संचालित करने व विकासखंड स्तर पर भी ऐसे आयोजन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे लघु एवं सीमांत किसानों तकभी आधुनिक तकनीक का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा तथा किसान अपनी आय में स्थिरता के साथ बढ़ाने में भी समक्ष बन सकेंगे। परिचर्चा में एक्सटेंशन रिफार्म्स आत्मा के डी.पी.डी. राजू कुुमार साहू के साथ जिले के सभी विकासखंडों के 58 किसानों ने अपनी सहभागिता दी। 

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