जगदलपुर. अगर आप नए साल का जश्न किसी टूरिस्ट प्लेस में मनाने और घूमने की सोच रहे हैं तो आ जाइये सीधे बस्तर. अब बस्तर में लाल आतंक की धमक नहीं, बल्कि सुंदर नजारों के बीच आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति देखने को मिलेगी. इसके लिए बस्तर में तैनात प्रसाशनिक अफसर भी देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों का वेलकम भी कर रहे हैं. वहीं प्रदेश और बस्तर का मिनी नियाग्रा चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात और विश्व के मानचित्र में छाया हुआ धूमडा रास को देखने पर्यटकों को बुलाया जा रहा है. बस्तर आईजी सुन्दर राज पी और कलेक्टर हरीश एस ने अन्य प्रदेशों के पर्यटकों से बस्तर घूमने आने की अपील की है.
उनका कहना है कि अब बस्तर नक्सल मुक्त हो गया है. बिना डरे बस्तर के किसी भी पर्यटन स्थल में जा सकते हैं. संभाग के हर जिलों में सुरक्षा के माकूल व्यवस्था की जा चुकी है. देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को आदिवासियों की संस्कृति देखने को मिलेगी. साथ ही स्थानीय युवाओं की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
शांति की ओर बढ़ रहा बस्तर
बस्तर में लगातार सुरक्षा बलों के कार्रवाई से बस्तर अब शांति की ओर बढ़ रहा है. इधर बस्तर के दोनों प्रमुख अधिकारियों की अपील से बस्तर में पर्यटकों की भीड़ सभी पर्यटन स्थलों में देखने को मिलेगी. साल के अंत और पूरे जनवरी महीने तक बस्तर में पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है, लेकिन बस्तर के कई ऐसे इलाके है जां पर्यटकों की भीड़ नहीं होती थी. कारण था नक्सलवाद, लेकिन अब ऐसे नक्सल इलाकों में सड़क, बिजली, पानी और प्राकृतिक रूप से बने स्थल भी पर्यटकों को बुला रहा है.
इसमें माचकोट का तिरिया, नेतानार ,मिचनार और तामड़ा घूमर जलप्रपात है. पहले यहां पर्यटकों की संख्या कम होती थी, लेकिन अब शांत होते बस्तर में इन सभी जगहों में पर्यटक आसानी से और बिना डर भय के नया साल अपने परिवार और चाहने वालों के साथ मना सकते हैं. तो आइए बस्तर और आनंद लीजिए सुंदर और आकर्ष जलप्रपातों और मनोरम दृश्यों का, यहां कि आदिवासी संस्कृति को जानिए, लोकल खाने का मजा लीजिए, नेचर को करीब से देखिए, क्योंकि अब बस्तर बदल गया है.