Home देश अमेरिका हटाने जा रहा परमाणु प्रतिबंध, उससे क्या होगा भारत को फायदा

अमेरिका हटाने जा रहा परमाणु प्रतिबंध, उससे क्या होगा भारत को फायदा

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अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा है कि अमेरिकी सरकार भारतीय परमाणु संस्थाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया में है ताकि भारत के साथ ऊर्जा संबंध स्थापित किए जा सकें. 20 वर्ष पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को मजबूती मिल सके.

दरअसल भारत अपनी ऊर्जा की बड़े पैमाने पर आपूर्ति परमाणु बिजली घरों के जरिए करता है. 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौते के तहत अमेरिका को भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी बेचने की अनुमति दी गई थी. लेकिन इसकी शर्तें ऐसी थीं कि इसमें अड़चन आती रही, ये लागू नहीं हो सका. जिन नियमों के कारण इस समझौते में अड़चन आ रही थी, अब अमेरिका उन्हें हटाने की बात कर रहा है.

सुलिवन ने दो दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका अब उन दीर्घकालिक नियमों को हटाने के लिए आवश्यक कदमों को अंतिम रूप दे रहा है, जिनके कारण भारत की अग्रणी परमाणु इकाइयों और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधा आ रही है.”

सवाल – भारत ने 1998 में क्या किया था जो अमेरिका ने भारत की कई संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए?
– भारत ने 11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किए. इस परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति के नाम से जाना गया था. हालांकि इसके बाद कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. अमेरिका अमेरिका ने तब 200 से अधिक भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए.

चीन भी इसी तरह की महत्वाकांक्षी योजना पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, हालांकि वह बड़े रिएक्टरों के मामले में अपेक्षाकृत देर से आगे आया है.

भारत को असैन्य परमाणु कार्यक्रम में छोटे रिएक्टर और उससे ऊपर के निर्माण में विशेषज्ञता है लेकिन भारत के लिए समस्या इसकी रिएक्टर तकनीक है. हेवी वाटर और प्राकृतिक यूरेनियम पर आधारित PHWRs लाइट वाटर रिएक्टर (LWR) के साथ तालमेल बिठाने में हम तेजी से पिछड़ रहे हैं जिस तकनीक पर अब दुनियाभर में प्रमुख रिएक्टर बन रहे हैं. रूस और फ्रांस के साथ-साथ अमेरिकी भी LWR प्रौद्योगिकी में अग्रणी है.