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कोयला खदान में कैसे फंसी 9 जान? बचाने कूदे जवान, जानिए क्या-क्या कर रही है सेना?

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 सोमवार को असम के कोयला खदान में पानी भरने से एक दर्जन के करीब मजदूर फंस गए. हादसा हसाओ जिले के उमरंगसो इलाके के खदान में हुई. घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय अधिकारियों ने SDRF और NDRF की टीमों को मदद के लिए बुलाया.  खदान से पानी बाहर निकालने के लिए खास उपकरण लगाए गए. लेकिन ज्यादा सफलता हासिल नहीं हुई. इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने सेना को भी मदद के लिए बुलाने का फैसला लिया.

सेना के इंजीनियर टास्क फोर्स ने शुरु किया ऑपरेशन
सेना को मदद के लिए बुलावा मिलने के बाद तेजी से काम शुरु किया गया. सुबह तकरीन 6:30 असम रायफलस की टीम मौंके पर पहुंची और हालातों का जायजा लिया. सेना के एक्सपर्टों ने राहत बचाव का काम शुरू किया. सेना के इंजीनियर रेजिमेंट ने खास रीलीफ टास्क फोर्स का गठन किया. इस बचाव दल में पैरा डाइवर्स, इंजीनियर और अन्य एकस्पर्ट की टीम शामिल हैं. सेना ने अपनी मेडिकल टीम को भी घटना स्थल के पास तैनात किया है. ऑपरेशन में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंच रहे हैं.

सेना ने बनाया रेस्क्यू प्लान
रिपोर्ट के मुताबिक कोयला खान तकरीबन 330 फीट गहरी है. फिलहाल यह बताया जा रहा है कि खदान में करीब 100 फीट पानी जमा हो गया है. पानी को निकालने की कोशिश की जा रही है. सेना हेलिकॉप्टर के जरिए एरियल रेकी भी कर चुकी है. भारतीय नौसेना को बचाव के काम के लिए तैनात किया जा रहा है. नौसेना के गोताखोरो को टीम अपने साजो सामान के साथ विशाखापत्तनम से असम भेजने की तैयारी है. सेना को इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन में महारत हासिल है. सेना की तत्परता और सटीक योजना इस चुनौतीपूर्ण मिशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि रिलीफ टास्क फोर्स को एक वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी की देखरेख में भेजा गया है. इस समय सरकारी अधिकारी नागरिक प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में हैं. कोशिश है कि जल्द से जल्द कोयला खदान में फंसे खनिकों को सुरक्षित बचाया जा सके. सेना नें उम्मीद जताई है कि जल्द ही सभी खनिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा.

रेस्क्यू ऑपरेशन है जटिल
कोयले के खदान में पानी भरने की घटना पहले भी कई बार हो चुकी है. एक बार पानी भरना शुरु हो जाए तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. इस घटना में भी खदान में अचानक से पानी भरना शुरु हो गया. इसकी वजह से मजदूरों को बाहर निकलने का समय नहीं मिल सका. कोयले की खान अस्थिर होती है. पानी भरने के चलते खदान के भरभराकर गिरने की संभावना होती है. खदान में अंधेरे के चलते राहत बचाव के काम को बहुत संभल कर अंजाम देना पड़ता है. खदान में ऑक्सिजन की कमी और अन्य गैस के रिसाव का भी खतरा बना रहता है. हालाकिं पानी से भरे खदान में बिना स्पेशलिस्ट गोताखोरों के बचाव कर पाना असंभव सा है.