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एक राष्ट्र – एक चुनाव पर जेपीसी की हुई पहली मीटिंग, यह एक बात मान गए सारे दल

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देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले दो विधेयकों पर विचार करने के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति की बुधवार को पहली बैठक हुई. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली इस समिति की पहली बैठक में विधि मंत्रालय के अधिकारी इसके सदस्यों को दोनों प्रस्ताविक कानूनों के प्रावधानों से अवगत कराया गया. बैठक में चौधरी के अलावा, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज और समिति के कई दूसरे सदस्य शामिल हैं.

सूत्रों के मुताबिक, वन नेशन-वन इलेक्शन की इस पहली मीटिंग में सभी सदस्यों ने कमेटी का कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति जताई. अगले सत्र में इसका प्रस्ताव दिया जाएगा. समिति को बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है. इन विधेयकों को पिछले साल 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था.

जेपीसी में किस दल के कितने सदस्य?
दरअसल लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर विचार के लिए 39 सदस्यीय संसद की संयुक्त समिति का गठन किया गया है. इस समिति के 39 सदस्यों में बीजेपी के 16, कांग्रेस के पांच, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके के दो-दो, जबकि शिवसेना, टीडीपी, जेडीयू, आरएलडी, एलजेपी (रामविलास), जन सेना पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी), माकपा, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजेडी) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एक-एक सदस्य शामिल हैं.

इस समिति में एनडीए के कुल 22 सदस्य हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (INDIA) के 10 सदस्य हैं. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ या विपक्षी गठबंधन के सदस्य नहीं हैं. समिति को बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है. इन विधेयकों को पिछले साल 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था.

लोकसभा में मत विभाजन के बाद ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को पुनर्स्थापित किया गया था. इस विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 263 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े थे. इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ध्वनि मत से मिली सदन की सहमति के बाद ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को भी पेश किया था.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है. हालांकि कानून मंत्री मेघवाल ने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संबंधित प्रस्तावित विधेयक राज्यों की शक्तियों को छीनने वाला नहीं है और यह विधेयक पूरी तरह संविधान सम्मत है.