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पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड की किसने रची थी साजिश? SIT जांच में खुले कई राज!

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छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्याकांड को लेकर एसआईटी जांच में एक के बाद एक कई राज से पर्दा उठ रहा है. इस कड़ी में अब साआईटी ने कहा है कि मुख्य आरोपी सड़क निर्माण ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने घटना से चार-पांच दिन पहले ही हत्या की कथित तौर पर साजिश रची थी.

मामले की जांच कर रहे एसआईटी ने एक बयान में बताया कि पत्रकार ने उसके (सुरेश चंद्राकर) सड़क निर्माण कार्य में कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली खबरें की थीं, जिन्हें लेकर आरोपी नाराज था. बयान के मुताबिक, सुरेश चंद्राकर ने घटना से चार दिन पहले 27 दिसंबर को अपने बैंक खाते से बड़ी रकम निकाली थी.

पत्रकार मुकेश चंद्राकर एक जनवरी को लापता हो गए थे और उनका शव तीन जनवरी को बीजापुर शहर के चट्टनपारा बस्ती में सुरेश चंद्राकर की संपत्ति के सेप्टिक टैंक में मिला था. पुलिस के अनुसार, सुरेश चंद्राकर को पांच जनवरी को हैदराबाद से पकड़ा गया था जबकि उनके भाई रितेश चंद्राकर और दिनेश चंद्राकर तथा उनके साइट सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.

खबर से नाराज होकर रची हत्याकांड की साजिश

एसआईटी ने बयान में बताया, “आरोपी से विस्तृत पूछताछ में पता चला कि मुकेश चंद्राकर, सुरेश चंद्राकर का रिश्तेदार था. उसने सुरेश चंद्राकर के सड़क निर्माण कार्य के खिलाफ खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए थे.” बयान के मुताबिक, “खबर से नाराज होकर सुरेश ने घटना (एक जनवरी) से चार-पांच दिन पहले अपने भाइयों के साथ मिलकर साजिश रची थी. शेड के 17 कमरों में से कमरा नंबर 11 में रितेश और महेंद्र ने मुकेश पर लोहे की रॉड से हमला कर उसे घातक चोटें पहुंचाईं. इसके बाद शव को सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया, जिसे कंक्रीट की दीवार चुनवा कर ढक दिया गया.”

कैसी थी बचने की प्लालिंग?

बयान में बताया गया कि दिनेश चंद्राकर एक जनवरी की रात को घटना के बाद सबूत छिपाने और सुरेश चंद्राकर की पूर्व नियोजित योजना के अनुसार आरोपियों को भागने में मदद करने के लिए आया था. एसआईटी ने बताया, “सुरेश चंद्राकर ने घटना के समय शहर से बाहर रहने की योजना बनाई थी ताकि उस पर संदेह न हो. पुलिस ने मामले में करीब चार गाड़ियां, एक मिक्सर मशीन, घटना में इस्तेमाल की गई लोहे की रॉड और अन्य साक्ष्य जब्त किए हैं. आरोपियों ने घटना में इस्तेमाल की गई लोहे की रॉड और अन्य साक्ष्य नेलसनार नदी के किनारे झाड़ियों में छिपा दिए थे.”

आरोप मिटाने के लिए की कड़ी मेहनत 

बयान के मुताबिक, रितेश, दिनेश और महेंद्र साजिश के तहत मुकेश चंद्राकर के दो मोबाइल फोन बीजापुर से करीब 65 किलोमीटर दूर तुमनार नदी के पास ले गए ताकि पुलिस को उसकी लोकेशन के बारे में गुमराह किया जा सके. एसआईटी ने बयान में बताया, “वहां जाकर उन्होंने मोबाइल फोन को पत्थरों से तोड़ दिया और नदी में फेंक दिया. गोताखोरों और अन्य तरीकों से तलाशी ली गई लेकिन फोन अभी तक बरामद नहीं हो पाए हैं.”

एसआईटी के मुताबिक, सुरेश चंद्राकर ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि मुकेश चंद्राकर उसका रिश्तेदार था और फिर भी वह अपने चैनल पर उसके खिलाफ खबरें चला रहा था, जिससे उसके काम के खिलाफ जांच की जा रही है. एसआईटी ने बताया, “जांच दल ने चारों आरोपियों को अलग-अलग रखकर दो दिन और दो रात तक उनके मोबाइल की जांच की और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के आधार पर पूछताछ की.”

उनके मोबाइल फोन से काफी डेटा डिलीट हो गया है, जिसे पुलिस वापस पाने की कोशिश कर रही है. पुलिस ने 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है और उनसे कुछ अहम सबूत भी मिले हैं.” एसआईटी सुरेश चंद्राकर और उसके रिश्तेदारों की संपत्तियों के बारे में भी विस्तृत जानकारी जुटा रही है.

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