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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा असम के डिटेंशन सेंटर्स में बंद लोगों का हाल और संख्‍या

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नई दिल्‍ली. नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA 2019) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) को लेकर देशभर में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने असम के डिेटेंशन सेंटर्स को लेकर जानकारी तलब की है. असम में NRC की प्रक्रिया के बाद बनाए गए डिटेंशन सेंटर्स (Detention Centers) को लेकर अदालत में याचिका दायर की गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि डिटेंशन सेंटर में तीन साल से बंद लोगों को छोड़ा गया है या नहीं. मामले की अगली सुनवाई होली की छुट्टियों के बाद होगी.

कोर्ट ने कहा- तीन साल से बंद लोगों को सशर्त छोड़ा जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने असम में एनआरसी प्रक्रिया को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) डिटेंशन सेंटर्स में मौजूद लोगों की संख्या और उनके हालात का पूरा ब्‍योरा अदालत को सौंपे. कोर्ट ने कहा कि तीन साल से डिटेंशन सेंटर्स में रह रहे लोगों को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी जा सकती है. इसके अलावा छोड़े गए व्‍यक्ति को स्‍पताह में एक दिन स्थानीय पुलिस के सामने पेश भी होना होगा. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्‍ता प्रशांत भूषण ने लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखने पर सवाल उठाए.

गुवाहाटी के पुलिस कमिश्‍नर ने उठाया पासवर्ड नहीं मिलने का मुद्दा
प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि डिटेंशन सेंटर्स में रहने वाले एक हजार से ज्‍यादा लोग ऐसे हैं, जो कई साल से बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद सिर्फ 300 लोगों को रिहा किया गया. उन्‍होंने सवाल उठाया कि बाकी के 700 से अधिक लोगों का क्या हुआ. उन्‍हें अब तक क्‍यों नहीं छोड़ा जा सका है. इस पर गुवाहाटी के पुलिस कमिश्नर एमपी गुप्ता ने पासवर्ड का मसला भी उठाया. उन्होंने कहा कि एनआरसी के पूर्व अधिकारी ने नए अफसरों को ईमेल आईडी के पासवर्ड नहीं दिए. इससे काफी समस्‍या हुई. कमिश्नर ने बताया कि उस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है.

गृह मंत्रालय की वेबसाइट से हट गया था एनआरसी लिस्‍ट का डाटा
कुछ दिन पहले खबर आई थी कि असम की एनआरसी लिस्ट का डाटा गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की वेबसाइट से हट गया था. इसेक बाद हलचल तेज हुई थी. हालांकि, बाद में गृह मंत्रालय ने बताया था कि डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. दरअसल, क्लाउड की दिक्कतों की वजह से डाटा गायब हो गया था. असम में 2019 में एनआरसी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, जिसमें 19 लाख लोग बाहर हो गए थे. हालांकि, सरकार ने कहा था कि सूची में शामिल नहीं किए लोगों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के अभी कई मौके हैं.

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