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छात्रावास-आश्रम ऐसे हों कि बच्चों के प्रवेश के लिए करानी पड़े अनुशंसा: श्री भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री ने की डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम से संबद्ध विभागों की समीक्षा

आदिम जाति कल्याण और वन विभाग मिलकर वनवासियों को आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाने की दिशा में करें काम

ट्राईबल क्षेत्र के बच्चों को लघु वनोपजों के महत्व और वनौषधियों की खेती की दी जाए जानकारी

रायपुर, 03 मई 2020/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के छात्रावास-आश्रमों और आवासीय विद्यालयों को सर्व सुविधा सम्पन्न और सुव्यवस्थित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि छात्रावास-आश्रमों को शिक्षा के ऐसे उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में विकसित किया जाए कि यहां बच्चों के प्रवेश के लिए मंत्री, विधायक और कलेक्टरों को अनुशंसा करनी पड़े। छात्रावास-आश्रमों में बच्चों को अध्ययन, अध्यापन, खेल गतिविधियों की उच्च स्तरीय सुविधाएं मिलनी चाहिए। कलेक्टर सहित अधिकारी-कर्मचारी भी अपने बच्चों को इन छात्रावास-आश्रमों में प्रवेश दिलाने के लिए उत्सुक रहे। उन्होंने छात्रावासों में साफ-सफाई रंग रोगन कराया जाए, बच्चों के लिए कम्प्यूटर और लाईब्रेरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। उन्हांेने सरगुजा और बस्तर विकास प्राधिकरण, डीएमएफ तथा सीएसआर मद की राशि का उपयोग इन कामों के लिए करने के निर्देश दिए। श्री बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में स्कूल शिक्षा, आदिम जाति कल्याण और सहकारिता मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के विभागों की समीक्षा करते हुए यह निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय विधायकों और मंत्रियों को अपने-अपने क्षेत्र के कम से कम एक छात्रावास आश्रम को गोद लेने के लिए कहा जाए। छात्रावास आश्रमों में बच्चों के लिए गद्दे, चादर के साथ-साथ बाथरूम में पानी और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। अधिकारी नियमित रूप से छात्रावास आश्रमों का निरीक्षण कर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में बाड़ी विकास के कार्य कराए गए हैं। छात्रावास-आश्रमों में इन्हीं बाड़ियों में उत्पादित ताजी सब्जियां, साग-भाजी, स्थानीय स्तर पर उत्पादित दूध, महिला स्व-सहायता समूहों के उत्पादों का उपयोग किया जाए, इससे स्थानीय किसानों और महिलाओं को फायदा होगा। बैठक में जानकारी दी गई कि स्व-सहायता समूह द्वारा छात्रावास-आश्रमों के बच्चों के लिए लगभग 2 करोड़ 87 लाख रूपए के अनाज, सब्जी, मसालों की आपूर्ति की गई है। ग्रामोद्योग इकाई द्वारा लगभग 7 करोड़ 17 लाख रूपए की चादरें और कंबलों की आपूर्ति की गई है। वर्ष 2020-21 में एकलव्य विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए साढे़ दस हजार गणवेश तैयार करने का आदेश ग्रामोद्योग विभाग को दिया गया है और एक करोड़ की राशि अग्रिम दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा अच्छी गुणवत्ता के साबुन का उत्पादन किया जा रहा है। इनका उपयोग भी छात्रावास-आश्रमों में किया जा सकता है। उन्होंने रोजमर्रा के उपयोग हेतु गौठानों में तैयार वस्तुओं के उपयोग करने के निर्देश भी दिए।
श्री बघेल ने विद्यार्थियों को वर्तमान परिदृश्य में रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध कराने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को यह अध्ययन कराने के निर्देश दिए कि किन क्षेत्रों में रोजगार के अच्छे अवसर मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि ट्राईबल क्षेत्र में लघु वनोपजें और वनौषधियां आर्थिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। बच्चों को महुआ, चार चिरौंजी, लाख, तेन्दूपत्ता, ईमली, साल बीज, वनौषधियों जैसे उत्पादों के आर्थिक महत्व की जानकारी देते हुए इन प्रजातियों का पौध रोपण भी सिखाया जाना चाहिए। वन अधिकार पट्टों के वितरण की स्थिति की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन वनवासियों और परंपरागत निवासियों को वन अधिकार पट्टे दिए गए हैं वहां भी इन उपयोगी प्रजातियों के वृक्षों और फलदार प्रजातियों के पौधे लगाए जाने चाहिए। इससे वनों की रक्षा भी हो सकेगी और लोगों को आय का जरिया भी मिलेगा। पौध रोपण के लिए मनरेगा से गढ्डे तैयार कराए जाए और वन विभाग से पौधे उपलब्ध कराए जाए। बांस से बने ट्री गार्ड का उपयोग प्राथमिकता से किया जाए, जिससे बांस का काम करने वालों को आय का जरिया मिल सके।
श्री बघेल ने कहा कि परंपरागत निवासियों को भी प्राथमिकता के आधार पर वन अधिकार पट्टे दिए जाए, ताकि उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने बस्तर क्षेत्र में ईमली प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए पहल करने के निर्देश भी दिए। श्री बघेल ने कहा कि आदिम जाति कल्याण विभाग और वन विभाग वनवासियों को आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाने की दिशा में काम करे, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठे। इस काम में वानिकी, उद्यानिकी और वनौषधियों की खेती से काफी सहायता मिल सकती है। वन विभाग केवल इमारती लकड़ी के लिए ही वृक्ष न लगाए। जंगलों को लघु वनोपजों से समृद्ध करने के लिए वृक्ष लगाए जाएं। फलदार वृक्षों के पौधे लगाए जाएं। यह ध्यान रखा जाए कि किस क्षेत्र में कौन सी फसल उपयुक्त है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जशपुर जिले में कटहल और लीची के बाग विकसित किए जा सकते हैं। हल्दी, तीखुर, अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है।
बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव श्री डी. डी. सिंह, सहकारिता विभाग के सचिव श्री आर. प्रसन्ना, मार्कफेड की प्रबंध संचालक श्रीमती शम्मी आबिदी, मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया भी उपस्थित थीं।

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