Home छत्तीसगढ़ प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने श्रमदान से बना दी सडक़

प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने श्रमदान से बना दी सडक़

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जल, जंगल-जमीन पर हक की बात और बना ली सडक़
राजनांदगांव (दावा)। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दिनों में टापू का रूप लेने वाले ऐसे माओवादी प्रभावित क्षेत्र के आदिवासियों ने ग्रामसभा मेें ये फैसला कर लिया कि अब जल-जंगल-जमीन पर केवल उन्ही का अधिकार है। इसलिए अब अपने क्षेत्र को इस बारिश में टापू नही बनने देने की चाह में श्रमदान कर गांव से ही 3 किलोमीटर की सडक़ बना डाली।आजादी के 70 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं की कमी बनी हुई है। फिर चाहे स्वास्थ्य सुविधा, पानी, बिजली, स्कूल या फिर सडक़ हो। गांव के आदिवासी लोग कई दशकों से शासन-प्रशासन को गांव की समस्याओं से अवगत करा रहें है, लेकिन शासन- प्रशासन में इनकी सुनने वाला कोई नहीं।

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