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सोलर प्लेट की व्यवस्था चढ़ गई बदहाली की भेंट, अंधेरे में डूबा रहता है गांव

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नक्सल प्रभावित क्षेत्र औंधी के घोटियाकन्हार गांव का मामला,आजादी के इतने सालों बाद नहीं है बिजली की व्यवस्था

राजनांदगांव (दावा)। जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी आज तक बिजली पोल नहीं लगी है। शासन-प्रशासन द्वारा सोलर प्लेट के माध्यम से गांव में बिजली की व्यवस्था तो की गई थी, लेकिन प्रशासनिक बदहाली से इस व्यवस्था से भी ग्रामीणों को बिजली नसीब नहीं हो रही है। मामला है जिला मुख्यालय से 170 किलोमीटर दूर माओवादी प्रभावित अतिसंवेदनसील औंधी थाना क्षेत्र जिले का अंतिम गांव बागडोंगरी के आश्रित गांव घोटियाकन्हार का । मिली जानकारी के अनुसार 2 साल पहले शासन- प्रशासन ने इस गांव में बिजली पहुंचाने सोलर प्लेट के माध्यम से पूरे गांव में खम्बे लगाकर तार दौड़ाए थे।

जनप्रतिनिधि तो दूर प्रशासन भी नहीं पहुंचता
खम्बों में एलईडी लाइट भी लगाई गई थी। 15 दिनों तक पूरा गांव रोशन रहा, लेकिन उसके बाद देखभाल नहीं होने से सोलर प्लेट ने काम करना बंद कर दिया। और एक बार फिर से यह गांव आज तक अंधेरे में डूबा हुआ है। बावजूद इसके इस बदहाली को देखने आज तक कोई भी जिम्मेदार गांव नहीं पहुंचे। गांव के लोग अब इसकी शिकायत करे तो भी किससे, गांव तक कोई जनप्रतिनिधि तो दूर प्रशासन का कोई नुमाइंदा तक नही पहुंचता है।

सोलर प्लेट महज 15 दिन ही गांव रही रोशनी
शासन- प्रशासन की मंशा साफ थी कि जिले के अंतिम गांव को बिजली से रोशन करना है, लेकिन इस प्रकार के काम हाथी के दांत ही साबित होते है। शासन- प्रशासन ने बिजली के तार तो अंतिम गांव तक नही पहुंचाए, अलबत्ता गांव को रोशन करने सोलर प्लेट के माध्यम से गांव में बिजली पहुंचाई, लेकिन ये सोलर प्लेट महज 15 दिन ही गांव को रोशन कर पाए, उसके बाद से आज तक फिर यह गांव अंधेरे में डूबा है, इसकी सुध लेने वाला कोई नही। शासन-प्रशासन की इस कार्यप्रणाली को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।

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