राजनांदगांव(दावा)। कोरोना संकट के बीच दूसरे राज्यों में काम करने गए जिले के हजारों मजदूर वापस लौटे थे। इन मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिल रहा है। काम के संकट के बीच प्रवासी मजदूर फिर दूसरे राज्यों में पलायन करने लगे है। लॉकडाउन के दौरान पैतृक गांवों में लौटे मजदूरों को स्थानीय स्तर पर समुचित मजदूरी और काम नहीं मिल रहा है। स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने और जिले में ही रोकने की सरकार की घोषणा नाकाम सिद्ध हो रही है।
गौरतलब है कि कोरोना संकट के बीच मार्च माह में भारत सरकार ने देशभर में पूर्ण लॉकडाऊन की घोषणा की थी। इस दौरान दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर बिना साधन के सैकड़ों किलोमीटर की दूरी भूखे-प्यासे पैदल सफर कर अपने घरों तक पहुंचे थे। यह योजना की सफलता पर भी संशय खड़ा कर दिया है। अधिकारी भले ही नियमों और कानून का हवाला दे रहे हैं परंतु घर पर भी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे मजदूरों के लिए पलायन के सिवा विकल्प नहीं बचा है।
सरकार ने दिया मदद का आश्वासन
तकलीफों के साथ वापस अपने घरों तक लौटे प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकार द्वारा रोजगार से लेकर हर तरह की मदद करने की बात कही गई थी। मिली जानकारी के अनुसार प्रवासी मजदूरों को गांव के अलावा शहर में भी काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में इन मजदूरों को परिवार को पालन-पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन अब वापस लौटे मजदूर अब फिर से दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं।
वाहन भेजकर ले जा रहे मजदूरों को
बताया जा रहा है कि दूसरे राज्यों के कंपनी मालिक व ठेकेदार मजदूरों को वापस ले जाने वाहन भेज रहे हैं। वापस लौटे मजदूर स्थानीय स्तर में काम नहीं मिलने से भेजे गए वाहनों से वापस लौटे रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिले के मजदूर हैदराबाद, तेलंगाना, नासिक, सूरत, नागपुर सहित अन्य जगहों पर पलायन कर रहे हैं। इसके लिए बकायदा ई-पास का सहारा लिया जा रहा है। जिले से अब तक सैंकड़ों लोगों के पलायन की खबर है। जिला प्रशासन व राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। कोरोना संक्रमण से उपजे हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं। ऐसे में श्रमिकों को दूसरे राज्यों या महानगरों की ओर जाने से बचना चाहिए। अगर बेहद जरूरी हो स्थानीय प्रशासन और उद्योग विभाग से अनुमति के बाद ही जाएं।