राजनांदगांव(दावा)। त्यौहारी सीजन में जिला प्रशासन द्वारा आगामी 6 अगस्त तक पुन: लाकडाउन को बढ़ाया जाना किसी को नहीं पच रहा है। लोगों का कहना है कि नांदगांव जिला रेड जोन में शुमार नहीं होन के बाद भी लाक डाउन को एक सप्ताह के लिए और भी बढ़ाया जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इससे एक प्रकार से गरीबों के पेट पर लात मारने का काम किया जा रहा है। कोरोना महामारी के चलते पिछले चार-महिने से अपना काम-धंधा, रोजी-रोजगार बंद कर घरों में कैद गरीब एवं जरूरत मंदों की दयनीय हो चुकी हालात पर जिला प्रशासन का एक और कहर बरपा है। इधर त्यौहारी सीजन में लाकडाउन और आगे बढ़ाए जाने से व्यापारियों का दर्द छलक उठा है। त्यौहारी सीजन ही ऐसा है जिसमें व्यापार व्यवसाय वालों को चार-पैसे कमाने का मौका मिलता है जिस पर भी लाक डाउन का गाज गिर गया है।
पिछले चार महिने से अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर लाक डाउन, अनलाक-वन आदि की परेशानी झेल रहे व्यवसायीजन इस लाक डाउन में सुबह 6 बजे से 12 बजे की बजाय 4 बजे तक छूट-देने की मांग कर रहे है। वैसे भी जिला प्रशासन 3 बजे तक शासकीय कार्यालयों को खोले रखने की अनुमति पहले ही दे रखी है तब त्यौहारी सीजन में शहर के लोगों के लिए व्यापार-व्यवसाय करने हेतु 4 बजे तक लाकडाउन में छूट देने में क्या हर्ज हो सकता है। चेम्बर आफ कामर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष शरद चितलांग्या ने कहा है कि लाकडाउन में छूट के इन 4 घंटों में व्यापारी क्या व्यापार-व्यवसाय कर सकेंगे? हलवाई दूकान रेस्टारेन्ट वालों को दूध का आइटम बनाने में सम्बंधित चीजों की खरीदी में ही इतना समय लग जाता है तब वे लाकडाउन में छूट के इतने कम समय में क्या धंधा कर सकेंगे।
आगे रक्षा बंधन का त्यौहार है जिसमें भाइयों का मुंह मीठा करने के लिए मिठाई की आवश्यकता होती है। वस्त्राभूषण सहित गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रशाधन की वस्तुए खरीदी जाती है लेकिन लाकडाउन में कम समय की छूट के चलते सब पर पानी फिर गया है। उन्होंने महापौर द्वारा केवल पत्र लिख कर इतिश्री कर ले लेने पर भी सवाल उठाया गया है। तथा कहा है कि शहर की प्रथम नागरिक होने के नाते से शहरवासियों का दर्द जिला प्रशासन के समक्ष नहीं रख रही है। इसी तरह चेम्बर आफ कामर्स के शहर अध्यक्ष ज्ञानचन्द बाफना ने प्रशासन का ध्यान आत्कृष्ट करते हुए कोरोना प्रभावित इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित करने तथा लाकडाउन लगा इससे कर इसका दूसरा रास्ता निकाले जाने की मांग की थी ताकि लोगों के काम-धंधे व्यापार-व्यवस्था प्रभावित न हो लेकिन प्रशासन ने व्यापारियों की मांग को सिरे से ठुकराते हुए एक बार फिर 6 अगस्त के लिए लोगों को लाकडाउन में झोंक दिया।