होशंगाबाद। इस रक्षाबंधन भाइयों की कलाइयों पर बंधेगा पूर्णतः स्वदेशी रक्षासूत्र। चाइना का बहिष्कार करते हुए 7 करोड़ व्यापारियों ने स्वदेशी राखियों का कारोबार अपनाया है। देशभर में स्वदेशी राखियों का 5 हजार करोड़ का कारोबार है। खुदरा व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का दावा है कि पूरे देश में स्वदेशी राखियां बनाने से 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। भारतीय सामान-हमारा अभियान के तहत कैट ने आत्मनिर्भर भारत के लिए काम शुरू कर दिया है। अगले पांच माह में एक लाख करोड़ का विदेशी सामानों का आयात कम करते हुए देश में स्वदेशी कारोबार बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
चाइना का कचरा कम हुआ है
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया की मानें तो चीन अपना उच्च गुणवत्ता वाला सामान यूरोपीय देशों को निर्यात करके अच्छी कीमत वसूल करता है। और घटिया सामान भारत में बहुत कम दामों पर बेचता है। हमारे तीज-त्योहारों में हमारे देश की मिट्टी, सिल्क, कपास का पूजन होना चाहिए न कि चाइना की सामग्री का। भाइयों की कलाई पर बहनें चाइना का रक्षासूत्र कैसे बांध सकती जिसने हमारे सैनिकों की हत्या कर दी। इसलिए चाइना की राखियों का पूर्णतः बहिष्कार करते हुए इस रक्षाबंधन हमारे देश के व्यापारियों ने स्वदेशी रक्षासूत्र की बिक्री करने का निर्णय लिया। कैट से जुड़े देशभर के 7 करोड़ व्यापारियों ने जब स्वदेशी बंधन को अपनाया तो इससे आत्मनिर्भर भारत को मजबूती मिली है।
5 लाख अधिक लोग रक्षासूत्र बना रहे
कैट की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा सेठी ने बताया कि देशभर के 500 जिलों में स्वसहायता समूहों से जुड़ी लाखों महिलाएं स्वदेशी राखियां बना रही हैं। मजदूरों और कारीगरों को मिलाकर 5 लाख से अधिक लोगों को स्वदेशी राखियां बनाने से रोजगार प्राप्त हुआ है। हमने गेहूं, चावल, आम की गुठली, विभिन्न किस्मों के बीजों को राखियों में लगवाया है। देश के पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी स्वदेशी राखियां बनाने का अभियान उपयोगी साबित होगा।